नई दिल्ली। वैश्विक और घरेलू कारकों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार कुछ वक्त से धीमी पड़ी हुई है जिसके कारण प्रमुख उद्योगपतियों ने रोजगार सृजन के लिए कदम उठाने, इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने एवं कृषि क्षेत्र के अनुकूल नीतियों के निर्माण की अपील की है।
दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ती दिख रही है। चालू वित्त वर्ष की सितंबर 2019 में समाप्त दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.5 फीसदी रह गई। यह मार्च 2013 के बाद सबसे निचला स्तर है। देश में ऑटोमोबाइल से लेकर टिकाऊ उपभोक्ता उत्पादों और रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुओं तक की मांग में भी गिरावट दर्ज की जा रही है। निजी उपभोग में भी सुस्ती है।
इस सबके बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्ष 2024-25 तक देश को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किए हुए हैं। वर्तमान स्थिति में इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल प्रतीत हो रहा है, क्योंकि अभी भारतीय अर्थव्यवस्था 2.9 लाख करोड़ डॉलर की है। 5 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंचने के लिए जीडीपी वृद्धि दर को कम से कम 11 फीसदी पर ले जाना होगा जो वर्तमान आर्थिक माहौल में संभव होता नहीं दिख रहा।