केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट लोकसभा में पेश किया। इस दौरान वित्तमंत्री ने कई बड़े ऐलान किए। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि सरकार भारत की अपनी डिजिटल करंसी लेकर आएगी। हालांकि इनकम टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
जानिए बजट से जुड़े संशोधन और प्रभाव...
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वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का मतलब क्रिप्टोकरेंसी से है। अब इसके मुनाफे पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा व इसके क्रय और विक्रय राशि पर पेमेंट देने वाले को 1 फीसदी टीडीएस काटना होगा। इसे दान करने पर दान लेने वाले को 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। यदि घाटा होता है तो अगले वर्षों में फॉरवर्ड नहीं होगा। प्रश्न यह है कि क्या प्रत्येक खरीदी-बिक्री पर टीडीएस रहेगा और पेमेंट देने वाला भारतीय है या विदेशी। जिसका ऑडिट होता है तो 50 हजार और अन्य में 10 हजार के ऊपर पर टीडीएस काटना पड़ेगा।
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हम 31 दिसंबर (3 माह पहले तक असेसमेंट वर्ष के आखरी दिन 31 मार्च से) तक अपने रिटर्न को रीवाइस (CORRECTED) कर सकते हैं या नया रिटर्न भर सकते हैं, अपनी भूल को सुधार सकते हैं। अब सरकार को महसूस हो रहा है कि उपरोक्त समय बहुत कम है तो उन्होंने 25 फीसदी एडिशनल टैक्स डिफरेंस टैक्स का (12 माह के अन्दर रिटर्न अपडेट करने पर) 50 फीसदी (12 माह के बाद अपडेट करने पर) एडिशनल टैक्स के रूप में लेकर रिटर्न अपडेट करने की सुविधा दी है। डिजिटल दुनिया में अब एनुअल इनफार्मेशन रिपोर्ट में कई आय सरकार स्वयं दिखाती है। यदि ऐसी आय पर आपने गलती से टैक्स नहीं भरा है तो आप अब अपडेट करके रिटर्न भर सकते हैं, ताकि आपको असेसमेंट और पेनल्टी के कानूनी पचड़े में नहीं पड़ना पड़े। इससे कानूनी या रेओपेनिंग कम होने की उम्मीद है। विभाग भी ऐसी छुटी हुई आय को आपके संज्ञान में ला सकते हैं।
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पहले सर्वे और सर्च होने पर यदि आपने कोई आय की घोषणा की है तो वह आप अपने पिछले वर्षों के या वर्तमान वर्षों के घाटे से बराबर या सेट ऑफ करके टैक्स की लायबिलिटी से बच सकते थे लेकिन अब जो भी आय सर्च या सर्वे में घोषित की है उस पर टैक्स भरना ही है जो कि नार्मल स्लैब के हिसाब से या 75 फीसदी (115BBE) के हिसाब भरना है आपको पिछले घाटे को सेट ऑफ करने का मौका नहीं है
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धारा 68 में यदि आपने किसी से लोन लिया है तो अब जिससे लोन लिया है उसका भी अमाउंट का सोर्स देखा जाएगा मतलब सोर्स का सोर्स। सोर्स का मतलब उनके खाते में पैसा कहां से आया या नकद तो नहीं भरा हैं यह सामान्यतया लोगों के लिए अच्छा प्रोविसन नहीं है। क्योंकि आपको थोड़ी मालूम है कि जिससे लोन ले रहे हैं वह कहां से पैसा लाया है। पैसा उधार लेते वक्त सामने वाले से ऐसे वेरिफिकेशन पूछना मुश्किल काम है। अब जिससे पैसा लिया है उसके खाते में कहां से पैसा आया, उसको भी संतुष्ट करना पड़ेगा। ऐसा नियम पहले कंपनी के केस में एप्लीकेशन मनी के लिए पहले से ही है।
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धारा 37 में एक्स्प्लेनेशन के माध्यम से कहा गया है कि यदि कोई खर्चा किसी अन्य कानून के अंतर्गत उल्लंघन करने पर किया है तो वह मान्य नहीं किया जावेगा। इसका दूरगामी परिणाम यह है कि सामान्य तौर पर जैसे देरी से रिटर्न भरने पर लगने वाली फीस, पेनल्टी और डॉक्टर्स को गिफ्ट, टूर वगैरह के सभी खर्चे अमान्य रहेंगे। क्योंकि यह खर्च मेडिकल कौंसिल भी मान्य नहीं करता है। असंवैधानिक रूप से किसी को बेनिफिट दिया और खर्च किया, वह भी अमान्य रहेगा।
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धारा 43B में इंटरेस्ट का भुगतान NBFC/schedule बैंक सोसाइटी को रिटर्न भरने के पहले नहीं किया जाता है तो ब्याज की छूट नहीं मिलती है। अब यदि ब्याज का भुगतान लोन/debenture को बढ़ाकर संयोजित करवाया तो भुगतान नहीं मानते हुए इसे आय में जोड़ा जाएगा या खर्च मुजरे नहीं मिलेगा।
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नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनी यदि स्टार्ट करते हैं तो कॉर्पोरेट टैक्स 15 फीसदी लगता है 31.3.2024 के पहले मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी चालू करने पर ही इसकी छूट मिलेगी, इसमें 1 वर्ष बड़ा दिया है।
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यदि कोविड में इलाज के लिए किसी मालिक ने पैसा कर्मचारी को दिया है तो वह खर्चे में मान्य रहेगा व प्राप्त करने वाले को भी धारा 56 में कोई टैक्स नहीं लगेगा।
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जिनका ऑडिट होता है उन्हें अब पेर्क्विस्वीट देने पर 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटना होगा।
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इवेंट मैनेऽ जमेंट का काम करने वाले जिन्होंने किसी अन्य को 50 हजार से ज्यादा पेमेंट एक व्यक्ति को उसकी सर्विस लेने में किया है तो उसे इवेंट खत्म होने के 30 दिन के अन्दर फॉर्म 52B में इसकी जानकारी देनी पड़ेगी।
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सामान्यतया यदि आय 50 लाख से ऊपर हो तो 10 फीसदी सरचार्ज, 1 करोड़ से ऊपर है तो 15 फीसदी सरचार्ज, 2 करोड़ से ऊपर है तो 25 फीसदी और 5 करोड़ से ऊपर पर 37.5 फीसदी सरचार्ज लगता है। इसमें लांग टर्म कैपिटल गेन की इनकम भी शामिल थी, अब जिन्हें कैपिटल गेन हुआ है, इस कारण से सरचार्ज की रेंज में आ रहा है तो उन्हें मैक्सिमम रेट 15 फीसदी सरचार्ज की रहेगी। प्रॉपर्टी में तेजी को देखते हुए 2 करोड़ से ऊपर कैपिटल गेन है तो फायदा है।
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अब सर्वे के पॉवर चीफ कमिश्नर के अंडर में सभी वार्ड के अधिकारियों के पास भी आ गए हैं, पिछली बार सिर्फ इन्वेस्टीगेशन विंग को थे।
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उपरोक्त के अलावा कई संशोधन किए हैं, जिसमें कई कोर्ट के अलग-अलग निर्णय से परेशानी आ रही थी, उन्हें कानून में डालकर क्लैरिटी लाई गई है। धीरे-धीरे कानून सख्त होता जा रहा है।