कन्नौज में आलू उत्पादकों की चुनाव में खास रुचि नहीं
शनिवार, 18 फ़रवरी 2017 (21:19 IST)
कन्नौज। देश में आलू उत्पादन और इत्र में विशेष जगह रखने वाले कन्नौज में चल रही आलू की खुदाई में व्यस्तता की वजह से इस क्षेत्र में किसानों की चुनाव में कम दिलचस्पी देखी जा रही है।
कन्नौज उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का संसदीय क्षेत्र है। यहां के किसान राजनीतिक दलों से नाराज हैं, क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान सभी दल वादे तो करते हैं लेकिन एक बार सत्ता में आने के बाद भूल जाते हैं। यहां वोदका फैक्टरी लगाने की मांग लंबे समय से लंबित है। कन्नौज में राज्य विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में मतदान रविवार को होगा।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कन्नौज शहर के बाहरी क्षेत्रों मानी मऊगांव के आसपास 2 किलोमीटर की दूरी पर जनसभा को संबोधित कर रहे थे लेकिन लक्ष्मीकांत कुशवाहा के परिवार के करीब 12 सदस्य आलू की खुदाई करने में व्यस्त थे। उन्हें अखिलेश यादव की जनसभा के बारे में जानकारी थी लेकिन आलू खुदाई के कारण वे उसमें शामिल होने के इच्छुक नहीं थे।
परिवार के मुखिया लक्ष्मीकांत ने कहा कि यदि वे चुनावी सभा में जाएंगे तो यह काम कौन करेगा? सभा में शामिल होने से ज्यादा महत्वपूर्ण आलू की खुदाई है। आलू की खुदाई में देरी खेती के लिए परेशानी बन सकती है। आलू धूप के संपर्क में आने पर काला पड़ जाएगा और अधिक समय तक उपयोगी नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा कि चुनाव का इंतजार किया जा सकता है लेकिन आलू की खुदाई का इंतजार नहीं कर सकते तथा हमें पता है कि मतदान रविवार को होना है। हम मतदान करने जाएंगे, लेकिन इसके लिए सभा में जाना जरूरी नहीं है।
पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए अगर गन्ना बहुमूल्य फसल है तो बदायूं से फर्रुखाबाद और इटावा से एटा तक आलू हमेशा से जरूरी रहा है। यहां के किसानों की अर्थव्यवस्था एक हद तक आलू पर ही टिकी है।
आलू की खुदाई कर रहे आगरा विश्वविद्यालय से परास्नातक की पढ़ाई करने वाले निशांत कुशवाहा किसानों के बारे में बात करने पर काफी मुखर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दल आलू उत्पादक किसानों की समस्या हल करने की बात करते हैं, क्या किसी ने अभी तक इस तरफ कोई काम किया?
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव कन्नौज क्षेत्र से 3 बार सांसद रह चुके हैं और अब उनकी पत्नी डिंपल यहां की सांसद हैं, क्या इन्होंने यहां कुछ किया? पिछले विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने कहा था कि यहां वोदका कारखाना लगाया जाएगा लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी यहां कुछ नहीं किया गया। इस बार भी वे कुछ ऐसा ही कहेंगे।
किसान महेश कटियार ने कहा कि किसानों की मांग है कि यहां क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग स्थापित किया जाना चाहिए। 1 आलू विनिर्माण इकाई या 1 वोदका फैक्टरी के निर्माण से कुछ ही समय में यहां के लोगों के जीवन को बदला जा सकता है। 1 आलू से बने चिप्स खुले बाजार में 10 रुपए प्रति पैकेट बिक रहे हैं जबकि हम प्रति किलो 1 रुपया पर आलू बेचने पर मजबूर हैं।
सत्यप्रकाश ने कहा कि इस समय आलू की बहुतायत के कारण बाजार गिरा है। हमने इसे अभी कोल्ड स्टोरेज में रख दिया है और हमें 150 रुपए प्रति बोरा से ज्यादा आलू भंडारण का किराया देना पड़ता है।