Voting on Afghanistan in UN : भारत ने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया और कहा कि सामान्य तौर-तरीकों के साथ काम करने से शायद वे परिणाम नहीं मिल पाएंगे, जिनकी वैश्विक समुदाय अफगान जनता के लिए अपेक्षा करता है। भारत, अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने मतदान में भाग न लेने पर कहा कि किसी भी युद्धोत्तर स्थिति से निपटने के लिए एक समेकित नीति में विभिन्न बातें समाहित होनी चाहिए, जिसमें सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करने और हानिकारक कार्यों को हतोत्साहित करने वाले उपाय शामिल हों। उन्होंने कहा कि हमारे दृष्टिकोण में केवल दंडात्मक उपायों पर केंद्रित एकतरफा रुख नहीं चल सकता। संयुक्त राष्ट्र और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अन्य युद्धोत्तर परिप्रेक्ष्य में अधिक संतुलित दृष्टिकोण अपनाए हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए अपने समन्वित प्रयास करने चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा नामित संस्थाएं और व्यक्ति, अलकायदा और उसके सहयोगी संगठन, इस्लामिक स्टेट और उसके सहयोगी संगठन, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद शामिल हैं, तथा उनके क्षेत्रीय प्रायोजक जो उनकी गतिविधियों में सहायता करते हैं, वे अब आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल न कर सकें। उन्होंने यह बात पाकिस्तान के संदर्भ में कही।
संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने सोमवार को जर्मनी द्वारा पेश अफगानिस्तान में स्थिति पर प्रस्ताव को पारित किया। प्रस्ताव के पक्ष में 116 वोट पड़े, 2 ने विरोध किया और 12 देश मतदान से दूर रहे, जिनमें भारत भी शामिल है।
मसौदा प्रस्ताव में क्षेत्रीय सहयोग का उल्लेख करते हुए अफगान लोगों की भलाई के लिए पड़ोसी और क्षेत्रीय साझेदारों तथा क्षेत्रीय संगठनों के योगदान के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इसमें भारत, ईरान और तुर्किये जैसे देशों द्वारा प्रदान किए जाने वाले शैक्षिक अवसरों के साथ-साथ कजाखस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान में अफगान छात्रों की उच्च शिक्षा तक पहुंच में मदद करने के लिए क्षेत्रीय कार्यक्रम भी शामिल हैं।
हरीश ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत की तात्कालिक प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता का प्रावधान और अफगान लोगों के लिए क्षमता निर्माण पहलों का कार्यान्वयन शामिल है। उन्होंने कहा कि हम स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और खेल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अफगान लोगों का समर्थन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता सभी प्रांतों में 500 से अधिक विकास साझेदारी परियोजनाओं के माध्यम से प्रदर्शित होती है।
उन्होंने बताया कि अगस्त 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था, तब से भारत ने लगभग 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 330 मीट्रिक टन से अधिक दवाएं और टीके, 40,000 लीटर कीटनाशक मैलाथियान और 58.6 मीट्रिक टन अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की है, जिससे मानवीय सहायता की सख्त जरूरत वाले लाखों अफगानों को मदद मिली है।