लखनऊ। उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के ऐलान के बाद से भारतीय जनता पार्टी में विधायकों व मंत्रियों के जाने की लिस्ट धीरे-धीरे लंबी होती जा रही है। यहां अभी तक स्वामी प्रसाद मौर्य, दारासिंह चौहान, धर्मसिंह सैनी सहित कई मंत्री-विधायक इस्तीफे दे चुके हैं। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से इन सभी नेताओं के वोट बैंक को साधने के लिए नई योजना बनाई है।
सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी ने रणनीति में बदलाव करते हुए पिछड़ों व दलित को साधने के लिए बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी में सेंधमारी करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी के चलते बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने की मुहिम एक बार फिर से चलाना शरू कर दिया है। इसी के चलते जिला स्तर पर नेताओं ने दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया है और वे इन्हें अपनी ओर रिझाने का काम कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि 20 तारीख के पहले पहले विधानसभा स्तर पर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी को कमजोर करने की पूरी रणनीति के तहत काम किया जा रहा है और अगर सब कुछ ठीक रहा तो बूथ स्तर पर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के मजबूत कार्यकर्ताओं को पार्टी की सदस्यता दिलाते हुए दोनों ही दलों को कमजोर करने का काम भारतीय जनता पार्टी करेगी।
क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार? : पूरे मामले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव बताते हैं कि इस रणनीति के तहत तो भाजपा लंबे समय से काम कर रही है और इसके संकेत कई बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह दे भी चुके थे। इसके पीछे की मुख्य वजह सिर्फ इतनी है कि ग्रामीण क्षेत्र में बूथ स्तर पर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता बेहद मजबूत हैं और मतदाताओं के बीच इनकी पकड़ भी अच्छी है। इसी को देखते हुए इन्हें अपनी ओर लाने का काम किया जा रहा है।