कानपुर। औद्योगिक नगरी कानपुर में राम मंदिर आंदोलन यानी 1991 में भाजपा को जबर्दस्त कामयाबी मिली। कई सीटें ऐसी रहीं कि जीत का सिलसिला कई बार चला। इनमें से 2 ऐसी सीटें रही, जहां पर लगातार 5 बार कमल खिला। लेकिन परिसीमन ने कल्याणपुर सीट पर ब्रेक लगा दिया और प्रेमलता कटियार 6ठी बार विधायक नहीं बन सकीं। इसके बाद अगले ही चुनाव में मोदी लहर में उनकी बेटी नीलिमा कटियार ने साइकल को पंक्चर कर मां को जीत का तोहफा दिया और उत्तरप्रदेश सरकार में राज्यमंत्री भी बनीं।
2012 में रुका था जीत का रथ : इसके बाद 2012 में परिसीमन के तहत सीटों के क्षेत्र में बदलाव हुआ तो सतीश महाना महाराजपुर से चुनाव जीतकर 6ठी बार जीतने में सफल रहे, लेकिन प्रेमलता कल्याणपुर सीट से ही चुनाव लड़ीं और उनके प्रभुत्व वाले रावतपुर गांव का क्षेत्र गोविन्द नगर में जाने से महज 3 हजार वोटों से वे चुनाव हार गईं। इस सीट पर सपा का बेरोजगारी भत्ता मुद्दा बना और सतीश निगम चुनाव जीतने में सफल रहे।
5 साल तक उन्होंने क्षेत्र में अन्य विधायकों की अपेक्षा जमकर विकास कराया और विकास के दम पर 2017 में सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे लेकिन प्रेमलता कटियार की बेटी नीलिमा कटियार ने मोदी लहर के चलते भारी मतों से साइकल को पंक्चर कर दिया। इस प्रकार नीलिमा ने जहां मां की हार को जीत में बदला तो वहीं कल्याणपुर सीट पर एक बार फिर भाजपा का कब्जा हो गया। मां की सीट पर विजयी होने पर उत्तरप्रदेश सरकार ने उन्हें प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बना दिया।