भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। घोषणा के बाद मेरठ में भाजपा कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों ने बागपत रोड स्थित बीजेपी क्षेत्रीय कार्यालय पर सिवालखास विधानसभा क्षेत्र में बाहरी प्रत्याशी घोषित होने पर विरोध करते हुए हंगामा किया। दूसरी तरफ मेरठ शहर की विधानसभा सीट से सुनील भराला को टिकट न मिलने से नाराज उनके समर्थकों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर विरोध प्रदर्शन किया है।
मेरठ भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय के बाहर बैठे भाजपा के समर्थक हैं। ये सभी रविवार को सिवालखास विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक जितेन्द्र सतवाई का टिकट कटने से नाराज हैं। इनका कहना है कि पार्टी ने सिवालखास के किसी व्यक्ति को टिकट न देकर अपितु क्षेत्र से बाहरी व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया है, जिसका खुलकर विरोध किया जाएगा। इन लोगों का कहना है कि मनिंदर पाल सिंह को टिकट दिया गया है, यह तो सिवालखास विधानसभा के रहने वाले भी ही नहीं है, तो उनको टिकट क्यों दिया है। मनिंदर पाल सिंह किसी एक पार्टी के नहीं है, पहले ही सभी पार्टी में रह चुके हैं।
वर्तमान में सिवालखास विधानसभा जितेंद्र सतवाई भाजपा के विधायक हैं। साथ ही इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य के साथ संघ के पुराने कार्यकर्ता हैं। भाजपा ने सिवालखास से जितेंद्र सतवाई का टिकट काटकर मनिंदर पाल को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि ये दोनों ही जाट बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन वर्तमान विधायक सिवालखास विधानसभा में रहते हैं और मनिंदर पाल सरधना विधानसभा के भराला गांव के रहने वाले हैं।
मनिंदर पाल का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि सभी दलों में रह चुके हैं। किसी एक दल के साथ मजबूती से नहीं रहे। मनिंदर पाल पूर्व में बसपा में रह चुके हैं और सपा में रहते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष भी बने थे। वे वर्तमान मे जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन हैं। मनिंदर पर 2 महीने पहले सेना से रिटायर्ड ब्रिगेडियर देवराज सिंह ने 45 लाख रुपए हड़पने, पैसे मांगने पर झूठे मामले में फंसवा कर जेल भेजने की धमकी का आरोप लगाया था।
सिवालखास विधानसभा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि आज तो उन्होंने भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय का कुछ समय के लिए घेराव किया। इन लोगों का कहना है कि यदि सोमवार तक सिवालखास के रहने वाले व्यक्ति को टिकट नहीं मिलेगा तो एक हजार लोग भाजपा क्षेत्रीय कार्यालय पर भूख हड़ताल करते हुए धरना देंगे। सिवालखास कार्यकर्ताओं की नाराजगी का खामियाजा कहीं भारी पड़ जाए।