×
SEARCH
Hindi
English
தமிழ்
मराठी
తెలుగు
മലയാളം
ಕನ್ನಡ
ગુજરાતી
समाचार
मुख्य ख़बरें
राष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय
प्रादेशिक
मध्यप्रदेश
छत्तीसगढ़
गुजरात
महाराष्ट्र
राजस्थान
उत्तर प्रदेश
क्राइम
फैक्ट चेक
ऑटो मोबाइल
व्यापार
मोबाइल मेनिया
ज्योतिष 2025
बॉलीवुड
बॉलीवुड न्यूज़
हॉट शॉट
मूवी रिव्यू
वेब स्टोरी
पर्यटन
आने वाली फिल्म
खुल जा सिम सिम
बॉलीवुड फोकस
आलेख
सलमान खान
सनी लियोन
टीवी
मुलाकात
धर्म-संसार
एकादशी
श्री कृष्णा
रामायण
महाभारत
व्रत-त्योहार
धर्म-दर्शन
शिरडी साईं बाबा
श्रीरामचरितमानस
आलेख
लाइफ स्टाइल
वीमेन कॉर्नर
सेहत
योग
NRI
मोटिवेशनल
रेसिपी
नन्ही दुनिया
पर्यटन
रोमांस
साहित्य
ज्योतिष
दैनिक राशिफल
रामशलाका
राशियां
आज का जन्मदिन
आज का मुहूर्त
लाल किताब
वास्तु-फेंगशुई
टैरो भविष्यवाणी
चौघड़िया
क्रिकेट
अन्य खेल
खेल-संसार
शेड्यूल
धर्म संग्रह
श्रीरामचरितमानस
विधानसभा चुनाव
महाराष्ट्र
झारखंड
मध्यप्रदेश
काम की बात
श्रीराम शलाका
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
चुटकुले
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
समाचार
ज्योतिष 2025
बॉलीवुड
धर्म-संसार
लाइफ स्टाइल
ज्योतिष
क्रिकेट
धर्म संग्रह
श्रीरामचरितमानस
विधानसभा चुनाव
मध्यप्रदेश
काम की बात
श्रीराम शलाका
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के मुनफ़रीद अशआर
बुधवार, 21 मई 2008 (16:30 IST)
Aziz Ansari
WD
अब अपना इख्तियार है चाहे जहाँ चलें
रेहबर से अपनी राह जुदा कर चुके हैं हम
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शबेग़म गुज़ार के
वीराँ है मैकदा, खुम ओ साग़र उदास हैं
तिम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के
इक फ़ुरसत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन
देखे हैं हमने हौसले परवरदिगार के
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझसे भी दिलफ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज फ़ैज़
मत पूछ वलवले दिले नाकरदाकार के
शेख साहब से रस्मोराह न की
शुक्र है ज़िन्दगी तबाह न की
कौन क़ातिल बचा है शहर में फ़ैज़
जिससे यारों ने रस्मोराह न की
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौबहार चले
चले भी आओ कि दुनिया का कारोबार चले
मक़ाम फ़ैज़ कोई राह में जचा ही नहीं
जो कूए यार से निकले तो कूए दार चले
आए कुछ अब्र, कुछ शराब आए
उसके बाद आए जो अज़ाब आए
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बेहिसाब आए
तुम्हारी याद के जब ज़ख्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
सबा से करते हैं ग़ुरबत नसीब ज़िक्रे चमन
तो चश्मे सुबहा में आँसू उभरने लगते हैं
तुम आए हो न शबे इंतिज़ार गुज़री है
तलाश में है सेहर बार-बार गुज़री है
वो बात सारे फ़साने में जिसका ज़िक्र न था
वो बात उनको बहुत नागवार गुज़री है
न गुल खिले हैं, न उनसे मिले, न मै पी है
अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरी मेहबूब न माँग
वेबदुनिया पर पढ़ें
समाचार
बॉलीवुड
ज्योतिष
लाइफ स्टाइल
धर्म-संसार
महाभारत के किस्से
रामायण की कहानियां
रोचक और रोमांचक
जरुर पढ़ें
बालों की खोई चमक लौटाएगा शहतूत का हेयर मास्क: जानें बनाने का तरीका और फायदे
New Year Resolution 2025: नए साल में अपने वेट लॉस गोल को रियलिटी बनाएं, अपनाएं डाइटिशियन के बताए ये 7 टिप्स
दही में मिलाकर लगाएं ये एक चीज, बेजान बालों में लौट आएगी जान, जानें लगाने का सही तरीका
क्या शिशु के शरीर के बाल हटाने के लिए आटे का इस्तेमाल सही है? जानिए इस नुस्खे की सच्चाई
Christmas 2024 : रेड, शिमरी या वेलवेट? जानें क्रिसमस पार्टी के लिए बेस्ट आउटफिट आइडियाज
नवीनतम
दर्जनों मर्दों ने किया सैकड़ों बार बलात्कार, वर्षों चला गैंगरेप का मुकदमा
Diabetics Snacks : ब्लड शुगर कंट्रोल रखने के लिए ये 6 बेहतरीन स्नैक्स ट्राई करें
बच्चों की याददाश्त और फोकस बढ़ाने के लिए ये हैं सुपर ब्रेन फूड्स
बिबेक और सृजना की अमर प्रेम कहानी: प्रेम को पूजा और पति की सेवा को जीवन माना, लेकिन कैंसर ने किया जुदा
National Mathematics Day 2024 : कब और क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय गणित दिवस, जानें महान गणितज्ञ रामानुजन के बारे में
ऐप में देखें
x