सुना हे जब मिर्ज़ा गालिब कर्नल बरून के रूबरू हुए तो उस वक़्त कलह प्याख उनके सर पर थी- उन्होंने गालिब कि नई वज़ा देखकर कहा,
वेल,तुम मुसलमान'गालिब ने कहा आधा, कर्नल ने कहा इसका क्या मतलब - गालिब ने कहा शराब पीता हुँ,सूअर नहीं खाता-
कर्नल यह सुनकर हँसने लगा-और फिर उसने गालिब के सारे काम कर दिए। -------------------------------------- से कौन छूटा है ------------------ कौन क़ैद से छूटा ----------------
जब मिर्ज़ा क़ैद से छूटक़र आऐ तो मियाँ के मकान में आकर रुके- एक रोज़ मियाँ काले के पास बैठ कर अफसोस कर रहे थे- किसी ने आकर क़ैद से छूटने की मुबारकबाद दी-
मिर्ज़ा ने कहा कौन क़ैद से छूटा है- पेहले गोरे की क़ैद में था अब काले की क़ैद में हूँ- -------------------------------------
खुदा के सुपुर्द ------------------------------ जब नवाब युसुफ अली क इंतेक़ाल हो गया और मिर्ज़ा ताज़ियत के लिये रामपुर गएँ,
चन्द रोज़ बाद नवाब कल्ब अली खाँ का बरेली जाना हुआ- उनकी रवानगी के वक़्त गालिब भी वहाँ मौजूद थे - चलते वक़्त मामूली तौर पर
नवाब साह्ब ने गालिब से कहा'खुदा क्र सुपुर्द'- तब गालिब ने कहा 'खुदा ने तो मुझे आप के सुपुर्द् किया है ' आप फिर मुझे उलटा खुदा के सुपुर्द कर रहे हैं-