शेरो-अदब

ग़ज़लें : साग़र चिश्ती

बुधवार, 18 जून 2008
भूली बिसरी राम कहानी फिर से अब दोहराए कौन, फूल हँसेंगे रोएगी शबनम, ज़ख्म-ए-जिगर दिखलाए कौन...
आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत , अक़्ल वाले कम हैं दीवाने बहुत

ग़ज़ल : कैफ़ी आज़मी

शुक्रवार, 6 जून 2008
हाथ आ कर लगा गया कोई , मेरा छप्पर उठा गया कोई

गजल : शाद अज़ीमाबादी

बुधवार, 21 मई 2008

ग़ज़लें--- अखतर शीरानी

बुधवार, 21 मई 2008

ग़ज़लें : मीर तक़ी मीर

बुधवार, 21 मई 2008
साक़ी की हर निगाह पे बल खा के पी गया लेहरों से खेलता हुआ लेहरा के पी गया
शरीके मेहफ़िले दारो ओ रसन कुछ और भी हैं सितमगरों, अभी एहले कफ़न कुछ और भी हैं
और भी चाहिए सो कहिए अगर दिल ए नामेहरबान में कुछ है
जग में आकर इधर-उधर देखा तू ही आया नज़र जिधर देखा
इश्क़ का रंग कभी सोज़ कभी साज़ में है एक नग़मा है मगर मुख्तलिफ़ अन्दाज़ में है