भूली बिसरी राम कहानी फिर से अब दोहराए कौन, फूल हँसेंगे रोएगी शबनम, ज़ख्म-ए-जिगर दिखलाए कौन...
आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत
, अक़्ल वाले कम हैं दीवाने बहुत
हाथ आ कर लगा गया कोई
, मेरा छप्पर उठा गया कोई
साक़ी की हर निगाह पे बल खा के पी गया
लेहरों से खेलता हुआ लेहरा के पी गया
शरीके मेहफ़िले दारो ओ रसन कुछ और भी हैं
सितमगरों, अभी एहले कफ़न कुछ और भी हैं
और भी चाहिए सो कहिए अगर
दिल ए नामेहरबान में कुछ है
जग में आकर इधर-उधर देखा
तू ही आया नज़र जिधर देखा
इश्क़ का रंग कभी सोज़ कभी साज़ में है
एक नग़मा है मगर मुख्तलिफ़ अन्दाज़ में है