आप बीती के शेयर

अपनी हैसियत का लोहा मनवा तो दिया हमने 
सरे राहों से मंजिलों तक पहुंचा तो दिया तुझे 


 
मेरे मेहबूब तेरे इस्तकबाल में 
क्या करूं गुस्ताखिया तो हुईं मुझसे 
सजा में अपना दिल रखूं या सर ये बताना मुझे 
 
जब तुम्हें बेपर्दा देखा मैंने तो 
अपने र्ईमान को बेईमान होते देखा मैंने 
 
दर्द भी पाया मैंने, गम भी पाया मैंने बहुत मगर 
रहगुजर भी मेरी हो, मंजिल भी मेरी हो 
आरजू अब भी ये है 
 
अपनी हिमाकत से गवाया सब कुछ 
दुश्मन बनाए इतने की दोस्त बनता नहीं कोई 
 
जिंदगी के बसंत पतझड़ हो गए 
जो राजदार थे वो दर्दे दिल हो गए 

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