भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होगा, जहां ऐसे पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल होगा। इसमें प्रत्येक 10 लाख पार्ट्स में सल्फर की मौजूदगी सिर्फ 10 पार्ट्स होगी। इससे भारत में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण में काफी कमी आएगी। देश के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है।
देश में पेट्रोल और डीजल की बिक्री में करीब 50 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि पिछले साल के अंत तक करीब सभी रिफाइनरियों ने बीएस-6 मानक वाले ईंधन का उत्पादन शुरू कर दिया था। अब तेल कंपनियां मौजूदा ईंधन की जगह नए ईंधन का इस्तेमाल शुरू करने की दिशा में पूरी कोशिश कर रही हैं।
सिंह ने कहा कि अगले कुछ दिनों में पेट्रोल पंपों पर सिर्फ बीएस-6 मानक वाले ईंधन उपलब्ध होंगे। भारत ने पहले यूरो-3 ईंधन का इस्तेमाल 2010 में शुरू किया था। इसे भारत स्टेज-3 भी कहा जाता है। इसमें सल्फर की मात्रा 350 पीपीएम थी। इसके 7 साल बाद बीएस-4 लागू किया गया था। इसमें सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम थी। बीएस-4 से बीएस-6 तक पहुंचने में सिर्फ 3 साल का समय लगा। (भाषा)