UP : रुक गई संभल की बावड़ी की खुदाई, जहरीली गैस के रिसाव की आशंका, मजदूरों की जान को खतरा, अभी भी दफन हैं कई राज
हालांकि मजदूरों में ऑक्सीजन की कमी के चलते घुटन के अहसास की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों ने मजदूरों के हितों और पुरानी धरोहर को नुकसान ना पहुंचे, जिसके चलते मजदूरों को बावड़ी की खुदाई करने से रोक लगा दी है।
चंदौसी के लक्ष्मणगंज के एक खाली प्लॉट में पिछले 14 दिनों से खुदाई और सफाई चल रही है। खुदाई के दौरान प्लॉट से एक बावड़ी निकली है। खुदाई में बावड़ी के अंदर सीढ़ी और नीचे उतरने का रास्ता देखा, खुदाई और सफाई के बाद एक मंजिल पर प्राचीन ढांचे के कमरे और नक्काशी दरवाजे मिले थे। जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने नगरपालिका को खुदाई और सफाई का जिम्मा सौंपा हुआ है। दूसरी मंजिल की खुदाई के समय मजदूरों को गैस निकलने का आभास हुआ, जिसके चलते एएसआई टीम ने बावड़ी की खुदाई तुरंत रोकने के आदेश दे दिये। फिलहाल भूमिगत दूसरी मंजिल पर खुदाई रोकते हुए मजदूरों को अंदर जाने से मना कर दिया गया है, बाहरी हिस्से से मिट्टी हटाने का काम चल रहा है।
संभल के चंदौसी में राजा आत्माराम की ऐतिहासिक बावड़ी की खुदाई में बीते बुधवार को 25 फुट की गहराई पर दूसरी मंजिल का गेट दिखाई दिया था। इसके बाद एएसआई की टीम ने सर्वे करते हुए चेतावनी दी कि बावड़ी की दूसरी मंजिल की दीवारें और सतह कमजोर होने के चलते कभी भी धंस सकती है, बावड़ी का कुछ हिस्सा कभी भी गिर सकता है, जो मजदूरों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। हालांकि राजस्व अभिलेखों में यह बावड़ी 400 वर्ग मीटर में अंकित है, लेकिन वर्तमान में 210 वर्ग मीटर का प्लाट ही खाली मिला है शेष 190 वर्ग मीटर पर कब्जा करके मकान बन गए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि 1730 में राजा आत्माराम द्वारा इस बावड़ी का निर्माण हुआ था। लेकिन यह बावड़ी समय के साथ गुमनाम होती गई और आसपास के लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया। खाली हिस्से के ऊपर मलबे का ढेर इकट्ठा हो गया था। प्रशासन से शिकायत के बाद खुदाई शुरू हुई तो बावड़ी का खुलासा हुआ, आने वाले समय में और नए खुलासे होने की संभावना बनी हुई है। Edited by : Sudhir Sharma