चौबेपुर पुलिस थी बेखबर, विकास दुबे के पास था बम बनाने वाला दस्ता...

अवनीश कुमार
शनिवार, 6 मार्च 2021 (15:38 IST)
कानपुर। बिकरू कांड के मास्टरमाइंड अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर को लगभग 8 महीने पूरे होने जा रहे हैं और अब अपराधी विकास दुबे का सच सामने आने लगा है। उसका यह सच कोई और नहीं, उसके मददगार एसटीएफ की पूछताछ में कबूलने लगे हैं जिसे सुनने के बाद पुलिस को अब अपने खुफिया तंत्र कमजोर होने का एहसास भी होने लगा है। पुलिस सूत्रों की मानें तो अपराधी विकास दुबे के पास अपग्रेड मॉडल के हथियारों का जखीरा था। और तो और, उसकी चलती-फिरती फौज भी थी और उसकी फौज में बम बनाने का दस्ता भी शामिल था।
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बम बनाने में हासिल थी महारत-
 
पुलिस सूत्रों की मानें तो एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया है कि जिन बम की बरामदगी पूर्व में हुई है, वे बिकरू में ही बनाए गए थे। पता चला है कि विकास के पास ऐसे एक दर्जन गुर्गे थे जिन्हें बम बनाने में महारत हासिल थी। यह दस्ता बम बनाकर दूसरे अपराधी गिरोहों को सप्लाई भी करता था। मध्यप्रदेश के अलावा पूर्वांचल के कई बड़े गिरोह बम के लिए विकास दुबे के संपर्क में रहते थे। 2 व 3 जुलाई 2020 की मध्यरात्रि हुए बिकरू कांड में पुलिस के ऊपर चलाए गए बम भी बिकरू गांव में ही अपराधी विकास दुबे के बम बनाने वाले दस्ते ने ही तैयार किए थे। और तो और, उसके पास हथियारों का भी जखीरा गांव में रहता था जिसका इस्तेमाल जब भी उसे किसी बड़ी घटना को अंजाम देना होता था तब वे हथियार गुप्त स्थानों से बाहर निकालकर प्रयोग में लाए जाते थे।
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गांव में बनते रहे बम, पर पुलिस को नहीं लगी भनक?-
 
अपराधी विकास दुबे का पुलिस पर दबदबा कहें या फिर पुलिस के खुफिया तंत्र की कमजोरी कि लंबे समय तक गांव में बैठकर अपराध की दुनिया में बड़ा नाम करने वाला विकास दुबे बड़ी-बड़ी घटनाओं को अंजाम देता रहा, पर पुलिस अनजान बनी रही और सबसे बड़ी बात तो यह रही कि बम दस्ता गांव में ही विकास दुबे के घर पर बैठकर बम बनाकर बमों की सप्लाई अन्य अपराधियों तक करता रहा लेकिन पुलिस को बम दस्ते की सुराग तक नहीं लगा?
क्या था मामला?-
 
कानपुर के चौबेपुर के बिकरु गांव में 2 जुलाई 2020 की देर रात को दबिश पर गई पुलिस टीम पर गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। इसमें सीओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। घटना को अंजाम देने के बाद ही विकास दुबे रात में ही भागकर अपने सहयोगियों के पास जाकर छिप गया था। घटना के करीब 1 सप्ताह के बाद ही मध्यप्रदेश पुलिस ने विकास दुबे को महाकाल मंदिर से पकड़कर यूपी एसटीएफ के सुपुर्द किया था। मध्यप्रदेश से कानपुर लाते समय गाड़ी पलट जाने पर विकास ने भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया था जबकि उसके कई साथी मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं और इस मामले में 36 लोग जेल में हैं और वहीं कुछ दिन पूर्व एसटीएफ ने अपराधी विकास दुबे के मददगार को भी गिरफ्तार कर लिया है।

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