आगरा। सफेद संगमरमर से गढ़ी गई प्रेम की अमर निशानी ताजमहल में इन दिनों लहू बह रहा है। यह लहू है उन पर्यटकों का है, जो देश-विदेश से दुनिया के इस 7वें आश्चर्य को निहारने आते हैं। इन पर्यटकों का लहू बहाने वाले इंसानी सगीतां नहीं बल्कि खूंखार बंदर हैं। बंदरों का समूह अचानक किसी पर्यटक पर सामूहिक हमला कर देते हैं जिन्हें अपनी जान बचानी भारी हो जाती है।
पिछले 10 दिनों से ताजमहल की खूबसूरती निहारने आए पर्यटकों पर बंदरों का यह 4था हमला है। 11 सितंबर को तमिलनाडु के शाहिन रशीद को बंदरों ने काटकर घायल कर दिया और उसके अगले ही दिन स्वीडन की महिला पर्यटक को बंदर ने काट लिया था। 14 सितंबर को चमेली फर्श मुख्य ताजमहल के गुम्बद के पास बेंच पर बैठीं 2 विदेशी युवतियों पर बंदरों ने हमला करने की कोशिश की।
गनीमत रही कि इन पर्यटकों को बंदर काट नहीं पाए, लेकिन उनके हाथ का सामान लेकर भाग गए। वहीं आज सोमवार को उत्पाती बंदरों ने एक बार फिर से स्पेनिश महिला पर्यटक पर हमला करते हुए काट लिया। इसके बाद यह महिला रोने लगी और उसका रोना देखकर आसपास के पर्यटक भी आ गए। स्थानीय फोटोग्राफर और एएसआई टीम के सदस्य ने महिला के पैर पर मरहम-पट्टी करते हुए उसे होटल के लिए रवाना कर दिया।
आगरा के ताजमहल की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी भले ही उत्पात मचाने वाले बंदरों को डंडा फटकारकर भगा देते हो, लेकिन सच यह भी है कि ताजमहल की खूबसूरती को निहारने के लिए देश-विदेश से पर्यटक अपने जेहन में कड़वी यादें भी लेकर जा रहे हैं। बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।