अयोध्या। किसी ने इस खूबसूरत लाइन को लिखने से पहले भी क्या कुछ अपने जेहन में सोचा होगा कि 'काश, मिले मंदिर में अल्लाह, मस्जिद में भगवान मिले...'। दूसरी ओर हाजी सईद को समझ ही नहीं आ रहा कि 'जय श्रीराम' कहकर आखिर ऐसी क्या खता कर दी कि उन्हें इस्लाम से ही खारिज कर दिया गया।
हाजी सईद ने कहा कि आखिर यह कैसी और किस गुनाह की सजा है, जबकि मस्जिद में भी मैंने माफी मांग ली। कह दिया मैं मुसलमान ही हूं और मुसलमान ही रहूंगा। जय श्रीराम भी नहीं कहूंगा, लेकिन फिर भी बाहर निकलता हूं तो डरता हूं कि कहीं मेरे अपने ही लोग मेरे साथ कुछ कर न डालें।
हाजी सईद को अब समझ में नहीं आ रहा कि आखिर हुआ क्या? जब सभी पैगंबर एक हैं, तो भला उनका गुनाह क्या है और किस कसूर की सजा उन्हें मस्जिद में माफी मांगने और इस्लाम में होने की दुहाई देने के बाद भी मिल रही है।
सईद ने कहा कि हम मस्जिद नमाज पढ़ने गए थे। हमारे भाई लोग भी थे। उनसे हमने माफी मांगी और कहा कि मैं अब जय श्रीराम नहीं कहूंगा। इन लोगों ने कहा कि तुम इस्लाम से खारिज हो। हाजी ने कहा कि मैंने अदब के लिहाज से जय श्रीराम कहा था। खुदा तो मेरा रब है। मैं मुस्लिम हूं। मैं राम को केवल आदर और सम्मान की निगाह से देखता हूं इसलिए मैंने बोला था। मैंने कोई पूजा नहीं की।
उन्होंने कहा कि मुझे काफिर करार दिया गया। मुझे धमकियां दी गईं। क्या करें मुसलमान होने के नाते मैंने बर्दाश्त किया। मस्जिद में मैंने माफी मांगी। मैं इस्लाम में उस समय भी था, जब मैंने जय श्रीराम कहा था। मैं मुसलमान था और आगे भी मुसलमान ही रहूंगा।
दरअसल, अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के पहले तपस्वी छावनी में संत परमहंस ने राम मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए राम नाम जप का आयोजन किया था। इसी कार्यक्रम की पूर्णाहुति के दिन 1 सितंबर 2019 को जहां पर हिन्दू धर्माचार्य के साथ-साथ कुछ मुस्लिम पुरुष और महिलाएं भी शामिल हुई थीं। इनमें हाजी सईद भी शामिल थे।
इस मामले में परमहंस ने कहा कि इंडोनेशिया में मुसलमान रामलीला देख सकते हैं और रामलीला का मंचन कर सकते हैं और राम को अपना पूर्वज मानते हैं, जो कि सबसे बड़ा मुस्लिम देश है। ऐसे में भारत में ही मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का नाम लेने पर यदि किसी को प्रताड़ित किया जाए तो यह निश्चित रूप से लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। शासन-प्रशासन को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।
दूसरी ओर मुस्लिम समाज के ही बबलू खान ने कहा कि कुछ कट्टरपंथियों को छोड़कर पूरा मुस्लिम समाज हमारे साथ खड़ा हुआ है। दरअसल, कुछ लोग चाहते हैं कि यहां पर आपसी सौहार्द न बने। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।