इस पाबंदी के विरोध में सोमवार को मुस्लिम समाज ने इस पाबंदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आज मेरठ शहर काजी के साथ गणमान्य लोगों का एक दल सबसे पहले मेरठ कमिश्नर कार्यालय पहुंचा। शहर काजी प्रोफेसर जैनुस साजिदीन सिद्दीकी ने मेरठ कमिश्नर को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि शादी में 100 लोगों की अनुमति है, जबकि धार्मिक कार्य में 5 लोगों की, जो गलत है। हमारे यहां रमजान में तराबी पढ़ी जाती है, सामूहिक नमाज होती है, जो 5 लोगों में संभव नही है।
शहर काजी की तरफ से कमिश्नर को ज्ञापन देकर तुंरत पाबंदी हटाने की मांग की गई है। सरकार पाबंदी हटा दें, सभी लोग कोविड नियमों का पालन करते हुए धार्मिक कार्य करेंगे। दूसरी तरफ ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के बैनर तले शहर विधायक रफीक अंसारी और संगठन के पदाधिकारी कारी शफीकुर्रहमान के साथ मुस्लिम समाज का प्रतिनिधिमंडल डीएम कार्यालय पहुंचा।
शफीकुर्रहमान ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव की सभाओं में रोज सैकड़ों की भीड़ जुट रही है। कुंभ मेले में भी लाखों लोग एकत्रित हो रहे हैं। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए रमजान के महीने में मस्जिद में सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने पर पाबंदी लगा दी है। उन्होंने सवाल उठाया कि कोरोना क्या सिर्फ मस्जिदों से ही फैलेगा?
मुस्लिम समाज के लोगों ने सीएम के नाम सौंपे ज्ञापन में रमजान-ए-पाक के महीने में मुस्लिमों को सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मस्जिदों में नमाज अदा करने की इजाजत मांगी। हालांकि मेरठ जिलाधिकारी के बालाजी ने इसे शासनादेश से जुड़ा आदेश बताते हुए सभी लोगों से सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने की अपील की है।