शिवपाल ने इस पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि यह तो उन्होंने अपरिपक्वता का राजनीतिक प्रमाण दिया है। अगर ये (अखिलेश) परिपक्व होते तो हमें सीधे पार्टी से अलग कर देते। मुक्ति दिला देते। मुझे कोई तकलीफ नहीं होती। जब विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाएंगे, कोई राय नहीं लेंगे, कोई सुझाव नहीं लेंगे तो इससे तो अच्छा है कि हमें वहां से निकाल ही दें।
चाचा शिवपाल ने अखिलेश से रिश्ते खराब होने के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था। हालांकि, उन्होंने पिछला विधानसभा चुनाव अपनी पार्टी के बजाय सपा उम्मीदवार के तौर पर जीता था। चुनाव के बाद सपा विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने से वह फिर नाराज हो गए थे।
सपा नेतृत्व से नाराज सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से गठबंधन की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर शिवपाल ने कहा कि मेरी राजभर से शिष्टाचार भेंट हुई है, लेकिन गठबंधन के बारे में अभी कोई बात नहीं हुई है। जब होगी, तब बता दिया जाएगा। (भाषा)