आज हर व्यक्ति दौलतमंद होना चाहता है। अत: अथाह धन-दौलत पाने के लिए भगवान श्रीगणेश का पूजन अति फलदायी है। हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश का अद्वितीय महत्व है। यह बुद्धि के अधिदेवता, विघ्ननाशक तथा अपार धन की मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता है।
'गणेश' शब्द का अर्थ है- गणों का स्वामी। हमारे शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां तथा चार अंतःकरण हैं तथा इनके पीछे जो शक्तियां हैं, उन्हीं को चौदह देवता कहते हैं। देवताओं के मूल प्रेरक भगवान गणेश हैं।
गणपति सब देवताओं में अग्रणी हैं। भगवान श्री गणेश के अलग-अलग नाम व अलग-अलग स्वरूप हैं, लेकिन वास्तु के हिसाब से गणपति के महत्व को रेखांकित करना आवश्यक है। वास्तु शास्त्र में धनदायक गणपति का बहुत महत्व है।
इसलिए प्रायः सभी घरों में गणपति के इस स्वरूप वाली प्रतिमा को मंत्रों से सम्पुट करके स्थापित किया जाता है, ताकि उन घरों में दरिद्रता का लोप हो, सुख-समृद्धि व शांति का वातावरण कायम हो सके।
धनदायक गणपति की प्रतिमा के साथ श्रीपतये नमः, रत्नसिंहासनाय नमः, ममिकुंडलमंडिताय नमः, महालक्ष्मी प्रियतमाय नमः, सिद्ध लक्ष्मी मनोरप्राय नमः लक्षाधीश प्रियाय नमः, कोटिधीश्वराय नमः जैसे मंत्रों का सम्पुट होता है।
धनदायक गणपति की प्रतिमा का उपरोक्त मंत्रों से अभिषेक करने तथा इन मंत्रों के जाप से मनुष्य दौलतमंद तो बनता ही हैं, साथ ही सारी परेशानियां भी दूर होकर मनुष्य आनंदमय जीवन व्यतीत करता है।