1. घर की उत्तर-पूर्व दिशा में खिड़की, दरवाजों की संख्या अधिक होना चाहिए।
2. दरवाजों की संख्या विषम होना चाहिए।
6. पूजा स्थान, अध्ययनशाला, पुस्तकालय, बैठक कक्ष का निर्माण सदा ईशान कोण में ही करें।
10. एग्जॉस्ट फैन, रोशनदान, धुएं की चिमनी ईशान कोण में हों, इसका ध्यान रखें।
11. शयन कक्ष दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में बनाए जा सकते हैं।