आपके भवन, मकान या घर की भूमि का ढाल वास्तु के अनुसार किस ओर होना चाहिए यह जानना जरूरी है अन्यथा नाकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होकर धन, समृद्धि संबंधी परेशानी खड़ी हो सकती है। आओ जानते हैं कि भूमि का ढाल किस ओर होने से क्या होता है। यहां इस संबंध में सामान्य जानकारी दी जा रही है। विस्तृत जानकारी हेतु वेबदुनिया का वास्तु चैनल देखें।
नोट- इसका मतलब यह कि दक्षिण और पश्चिम दिशा उत्तर एवं पूर्व से ऊंची रहने पर वहां पर निवास करने वालो को धन, यश और निरोगिता की प्राप्ति होती है। इसके विपरित है तो धन, यश और सेहत को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि किसी वास्तुशास्त्री से इस संबंध में जरूर सलाह लें क्योंकि हमें नहीं मालूम है कि आपके घर की दिशा कौन-सी है। दिशा के अनुसार ही ढाल का निर्णय लिया जाता है। यदि आपके मकान की भूमि का ढाल वास्तु अनुसार है तो निश्चित ही वह आपको मालामाल बना देगा। लेकिन यदि वास्तु अनुसार नहीं है तो वह आपको कंगाल भी कर सकता है।
क्यों रखते हैं भूमि का ढाल उत्तर की ओर?
1. सूरज हमारी ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है अत: हमारे वास्तु का निर्माण सूरज की परिक्रमा को ध्यान में रखकर होगा तो अत्यंत उपयुक्त रहेगा।
3. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव धरती के दो केंद्रबिंदु हैं। उत्तरी ध्रुव जहां बर्फ से पूरी तरह ढंका हुआ एक सागर है, जो आर्कटिक सागर कहलाता है वहीं दक्षिणी ध्रुव ठोस धरती वाला ऐसा क्षेत्र है, जो अंटार्कटिका महाद्वीप के नाम से जाना जाता है। ये ध्रुव वर्ष-प्रतिवर्ष घूमते रहते हैं। दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव से कहीं ज्यादा ठंडा है। यहां मानवों की बस्ती नहीं है। इन ध्रुवों के कारण ही धरती का वातावरण संचालित होता है। उत्तर से दक्षिण की ओर ऊर्जा का खिंचाव होता है। शाम ढलते ही पक्षी उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं। अत: पूर्व, उत्तर एवं ईशान की और जमीन का ढाल उत्तम माना जाता है।