वास्तुदोष दूर करते हैं नवरात्रि के ये पवित्र मंत्र...

पं. उमेश दीक्षित
* नवरात्रि पर कैसे करें बाहरी बाधा का निवारण, पढ़ें मंत्र 
 
किसी व्यक्ति को या घर में किसी हवा, बाधा आदि का प्रकोप हो तो नवरात्रि में दुर्गाजी के निम्न मंत्र का 11 माला जप कर दशांश हवन, तिल, जौ, गौघृत, शकर, अक्षत, सरसों आदि से हवन करें। हवन-पूजन विधि-विधान से करें, निश्चित ही लाभ होगा।
 
(1) 'ॐ ह्रीं दुर्वत्तानामशेषाणां बल हानि करम् परम्।
रक्षोभूत पिशाचानां पठनादेव नाशनम् ह्रीं ॐ।।' 
 
शुभ मुहूर्त में यह मंत्र अनार की कलम से भोजपत्र पर लिखकर पूजन गृह में रख दें तथा नित्य पूजन करें, लाभ होगा।
 
यदि किसी व्यक्ति को ऊपरी हवा का प्रकोप हो तो ताबीज में भरकर सीधे हाथ में बांध दें, लाभ होगा।
 
इस मंत्र के प्रभाव से घर में लड़ाई-झगड़े दूर होते हैं, शांति बनी रहती है और वास्तुदोष दूर होता है।
 
8 नाग कील, 8 पीली कौड़ी, खैर की लकड़ी, शमी की लकड़ी, 8 लौंग आठों दिशाओं में हाथभर गड्ढा खोदकर गाड़ दें। पहले हवन में सिद्ध करें तथा बाद में प्रति सामग्री 1-1 कर सबको मिलाकर 8 स्थानों पर इकट्ठा कर रखें तथा लाल वस्त्र में बांधकर हर पोटली पर 8 बार मंत्र पढ़कर गाड़ दें। इससे सभी प्रकार की शांति होगी। 
 
(2) 'ॐ ह्रीं कुरकुते स्वाहा।'
 
यह मंत्र सिद्ध है। प्रयास करें कि घर में 108 मंत्र का माला जप हो तथा 11 माला हवन उपरोक्त सामग्री से करें। मात्र हवन करने से ही समस्याएं समूल नष्ट हो जाएंगी। 
 
हवन में सरसों के तेल को अभिमंत्रित कर रख लें। यदि किसी को ऊपरी हवा हो तो यह मंत्र उसके शरीर पर लगाएं, तुरंत आराम होगा।
 
(3) 'ॐ नमो भास्कराय अस्माकं सर्वग्रह पीड़ा नाशनं कुरु कुरु स्वाहा।' 
 
इस मंत्र को निश्चित संख्या जप लें तथा दशांश हवन कर लें। सभी तरह की शांति होगी। इति:।

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