वास्तु टिप्स : किस काम के लिए कौन सा समय रहेगा अतिशुभ, जानिए 8 खास बातें

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
सूर्य, वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है इसलिए जरूरी है कि सूर्य के अनुसार ही हम भवन निर्माण करें तथा अपनी दिनचर्या भी सूर्य के अनुसार ही निर्धारित करें।
 
1. सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य घर के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है।
 
2. सुबह 6 से 9 बजे तक। सूर्य घर के पूर्वी हिस्से में रहता है इसीलिए घर ऐसा बनाएं कि सूर्य की पर्याप्त रोशनी घर में आ सके।
 
3. प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक। सूर्य घर के दक्षिण-पूर्व में होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम है। रसोईघर व स्नानघर गीले होते हैं। ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की रोशनी मिले, तभी वे सूखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।
 
4. दोपहर 12 से 3 बजे तक। विश्रांति काल (आराम का समय) होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: शयन कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।
 
5. दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक। अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है अत: यह स्थान अध्ययन कक्ष या पुस्तकालय के लिए उत्तम है।
 
6. सायं 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढ़ने का होता है इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए उत्तम होता है।
 
7. सायं 9 से मध्यरात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान शयन कक्ष के लिए भी उपयोगी है।
 
8. मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक। सूर्य घर के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है। यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को रखने के लिए उत्तम है।
किस दिशा में बैठकर भोजन करने से बने रहेंगे सेहतमंद, जानिए

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख