कैसा होना चाहिए घर का आंगन, जानिए वास्तु टिप्स

अनिरुद्ध जोशी
आजकल शहरी लोग फ्लैट में रहते हैं तो आंगन होने का सवाल ही नहीं। दूसरी ओर शहरी घरों में भी अब आंगन कहां रहे हैं। पहले के घरों में आंगन होते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में ही अब कुछ घर ऐसे बचे हैं जहां आंगन है। हालांकि यदि आप आंगन वाला घर बनाना चाहते हैं या कि आपके यहां आंगन है तो आओ जानते हैं आंगन के वास्तु टिप्स।
 
 
घर का आंगन : घर में आंगन नहीं है तो घर अधूरा है। घर के आगे और घर के पीछे छोटा ही सही, पर आंगन होना चाहिए। प्राचीन हिन्दू घरों में तो बड़े-बड़े आंगन बनते थे। शहरीकरण के चलते आंगन अब नहीं रहे। आंगन नहीं है तो समझो आपके बच्चे का बचपन भी नहीं है।
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1. आंगन मुख्यत: तीन तरह से होते हैं। पहला घर के सामने आंगन, दूसरे घर के पीछे आंगन और तीसरा घर के आगे पीछे दोनों ओर आंगन और चौथा घर के बीचोंबीच आंगन और चारों ओर घर। सभी तरह के आंगन का वास्तु भिन्न होता है।
 
 
2. वास्तु के हिसाब से घर का आंगन होना ही चाहिए। आंगन घर और बाहर के बीच विभाजक का कार्य करता है। घर की बात घर में ही रखें उसे आंगन तक भी ना ले जाएं। 
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3. उत्तर का अंगन सबसे अति उत्तम, पूर्व का उत्तम और पश्चिम का मध्यम माना गया है। यदि आंगन बीचोबीच है तो उसके उत्तर में पूजाघर, आग्नेय में रसोईघर रखें। आंगन मकान का केन्द्रीय स्थल होता है। यह ब्रह्म स्थान भी कहलाता है। ब्रह्म स्थान सदैव खुला व साफ रखना चाहिए।
 
 
4. भूखण्ड, आंगन और घर तीनों में मण्डल और मण्डलेश का विचार किया जाता है। मतलब यह कि आंगन और घर की लंबाई और चौड़ाई को वास्तु के अनुसार निर्धारित किया जाता है। भूखण्ड की लम्बाई और चौड़ाई को गुणा करके 9 का भाग देकर शेष अंक से शुभ-अशुभ का विचार किया जाता है। 
 
5. कहते हैं कि यदि शेष 1 हो तो दाता, 2 धूपति, 3 हो तो नपुंसक, 4 हो तो चोर, 5 हो तो पंडित, 6 हो तो भोगी, 7 हो तो धनपति, 8 हो तो दरिद्र और 9 हो तो धनी माना जाता है।
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6. बीच में नीचा और चारों ओर से ऊंचा आंगन अच्‍छा नहीं माना जाता है परंतु बीच में ऊंचा हो और चारों ओर से नीचा हो तो ऐसा आंगन शुभ है। जहां आंगन पक्का कराया जाता है, वहां भी विवाह मण्डप के लिए थोड़ा सा स्थान कच्चा छोड़ दिया जाता है।
 
7. आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, कड़ी पत्ते का पौधा, नीम, आंवला आदि के अलावा सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने वाले फूलदार पौधे लगाएं। तुलसी हवा को शुद्ध कर कैंसर जैसे रोगों को मिटाती है। अनार खून बढ़ाने और वातावरण को सकारात्मक करने का कार्य करता है। कड़ी पत्ता खाते रहने से जहां आंखों की रोशनी कायम रहती है वहीं बाल काले और घने बने रहते हैं, दूसरी ओर आंवला शरीर को वक्त के पहले बूढ़ा नहीं होने देता। यदि नीम लगा है तो जीवन में किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होगा।
 
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8 . शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष अपने आंगन में या कहीं और लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता। 
 
9. इसके अलावा घर के द्वार के आगे प्रतिदिन रंगोली बनाएं और आंगन की दीवारों और भूमि पर मांडने मांडें।
 
10. तुलसी माता को आंगने के बीचोबीच एक बड़े से गमले में या चौकोर बने ऊंचे गमले में स्थापित किया जाता है। 
 
11. आंगन में चंपा, पारिजात, रातरानी, रजनीगंधा, मोगरा और जूही के फूल के पौधे लगाएं।
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12. आंगन का अधिकतर हिस्सा कच्चा रखें और जहां से घर में दाखिल होना हो वहां पगडंडीनुमा पत्‍थर का रास्ता बनाएं।

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