पूजा की सामान्य विधि (बरगद के बिना भी):
पूजा की सामान्य विधि वही रहेगी, बस वट वृक्ष के स्थान पर आप अपनी चुनी हुई वैकल्पिक वस्तु का उपयोग करेंगी:
• सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
• पूरे सोलह श्रृंगार करें।
• पूजा स्थल को साफ करें और चौकी स्थापित करें।
• गंगाजल से छिड़काव कर शुद्ध करें।
• पूजा सामग्री (जैसे फल, फूल, मिठाई, पूरियां, भीगे चने, रोली, अक्षत, धूप, दीप, कच्चा सूत या मोली) तैयार रखें।
• अपनी चुनी हुई वैकल्पिक वस्तु (टहनी, सुपारी, चित्र आदि) को स्थापित करें।
• सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें।
• फिर ब्रह्मा, विष्णु, महेश और देवी सावित्री का आह्वान करें।
• वट वृक्ष को जल चढ़ाएं और हल्दी-कुमकुम लगाएं।
• कच्चे सूत या मोली को 7 या 108 बार अपनी वैकल्पिक वस्तु के चारों ओर लपेटें।
• वट सावित्री व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
• आरती करें और सभी देवी-देवताओं से पति की लंबी आयु और परिवार के सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
• ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।
याद रखें, पूजा का महत्व आपके मन की श्रद्धा और भावना में निहित है। यदि आप पूरी निष्ठा से पूजा करती हैं, तो बरगद का पेड़ न होने पर भी आपका व्रत सफल माना जाएगा और आपको उसका पूरा फल प्राप्त होगा।
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