When is Mohini Ekadashi 2025: हिन्दू पंचांग कैलेंडर के मुताबिक, इस बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ने वाला मोहिनी एकादशी व्रत गुरुवार, 8 मई 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत भगवान श्रीहरि नारायण को समर्पित होने के कारण इस दिन विष्णु जी का पूजन-अर्चन किया जाता है। आइए जानते हैं मोहिनी एकादशी का महत्व, पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त और पारण समय के बारे में... ALSO READ: वास्तु ज्ञान: गृह निर्माण में 'ब्रह्म स्थान' का महत्व, जानें कहां होता है और करें यह सरल उपाय
महत्व: मोहिनी एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके देवताओं को अमृत पिलाया था और राक्षसों से अमृत कलश की रक्षा की थी। इस व्रत को करने से मोह-माया से मुक्ति मिलती है यानी यह व्रत व्यक्ति को सांसारिक मोह और बंधनों से मुक्त करने में सहायक माना जाता है।
मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से जन्मों-जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं अर्थात् समस्त पापों का नाश: करके पुण्य की प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति होती है। इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। श्रीहरि के भक्त इस व्रत को अपनी इच्छाओं और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के आकर्षण और प्रभाव में वृद्धि होती है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।ALSO READ: मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से क्या होता है?
• उदया तिथि के अनुसार मोहिनी एकादशी व्रत 8 मई 2025, गुरुवार को रखा जाएगा।
• पारण या व्रत तोड़ने का का समय: 9 मई 2025 को सुबह 05 बजकर 34 मिनट से सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक। पारण अपको बता दें कि यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये मुहूर्त स्थानीय पंचांग के अनुसार थोड़े भिन्न हो सकते हैं।
पूजा विधि: मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है:
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठें: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. व्रत का संकल्प लें: भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
3. भगवान विष्णु की पूजा: एक साफ चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें।
4. अभिषेक: भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें।
5. नैवेद्य: भगवान को पीले फूल, फल, तुलसी दल, धूप, दीप और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
6. मंत्र जाप: भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'।
7. कथा श्रवण: मोहिनी एकादशी व्रत की कथा सुनें।
8. आरती: भगवान विष्णु की आरती करें।
9. दान-पुण्य: अपनी क्षमतानुसार दान-पुण्य करें।
10. रात्रि जागरण: इस दिन रात्रि जागरण का भी महत्व है, जिसमें भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन किए जाते हैं।
11. द्वादशी को पारण: अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। पारण से पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
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