Fact Check: अगर खेत बटाई या ठेके पर दिया तो देना होगा 18% GST? जानिए सच
शुक्रवार, 15 जनवरी 2021 (12:11 IST)
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का विरोध-प्रदर्शन आज 51वें दिन भी जारी है। वहीं, सरकार 1 फरवरी को बजट पेश करने की तैयारी कर रही है। इस बीच सोशल मीडिया पर एक खबर जमकर वायरल हो रही है। एक अखबार की कटिंग शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यदि कोई किसान अपना खेत बटाई पर देता है तो उसे 18 फीसदी GST देना पड़ेगा।
क्या है वायरल-
वायरल हो रही अखबार की कटिंग में दावा किया गया है कि सरकार ने खेत को बटाई या ठेके पर देने को कारोबार मान लिया है और इसे 18 प्रतिशत की GST स्लैब में शामिल कर लिया गया है। यह कटिंग फेसबुक और ट्विटर पर काफी शेयर कर जा रहा है।
अगर किसी किसान ने अपना खेत ठेके पर या फिर बटाई पर दिया तो 18% जीएसटी केंद्र सरकार को देना होगा pic.twitter.com/IQJAd5e5ps
हमने इंटरनेट पर “खेत बटाई पर GST” कीवर्ड से सर्च किया तो हमें पता चला कि यह दावा 2018 में भी वायरल हो चुका है। सर्च रिजल्ट में हमें सरकारी सूचनाओं की नोडल एजेंसी प्रेस इंफोर्मेशन ब्यूरो (PIB) की 28 मई 2018 को जारी की गई एक प्रेस रिलीज़ मिली। प्रेस रिलीज़ में वित्त मंत्रालय ने उस वक्त मीडिया में चल रही ऐसी खबरों का खंडन किया था।
प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, “जुलाई, 2017 में GST (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू करने के बाद से लेकर अब तक किसानों से संबंधित GST कानून और कराधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन अथवा पशुपालन से संबंधित सहायक सेवाओं को GST से मुक्त रखा गया है। इस तरह की छूट प्राप्त सहायक सेवाओं में रिक्त पड़ी भूमि को इसके उपयोग के लिए संलग्न संरचना के साथ अथवा इसके बगैर ही किराये या पट्टे पर देना भी शामिल है। अत: बटाई (पैदावार में हिस्सेदारी) या किसी अन्य व्यवस्था के आधार पर कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन अथवा पशुपालन के लिए किसानों द्वारा अपनी भूमि को किराये अथवा पट्टे पर देना भी GST से मुक्त है। इसके अलावा, कृषकों को भी GST पंजीकरण कराने से मुक्त कर दिया गया है।”
वेबदुनिया की पड़ताल में खेत बटाई या ठेके पर देने पर 18 फीसदी GST लगने का दावा भ्रामक निकला। वायरल हो रही अखबार की कटिंग साल 2018 की है। केंद्र सरकार 28 मई 2018 को ऐसे दावों का खंडन कर चुकी है।