पश्चिम बंगाल : आठवें चरण के साथ चुनाव हुए संपन्न, अब परिणाम पर नजर
शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021 (00:07 IST)
कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के आठवें व आखिरी चरण के साथ ही गुरुवार को विभिन्न इलाकों से छिटपुट हिंसा की घटनाओें के बीच विधानसभा चुनाव संपन्न हो गया। निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान में 76 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।
दिल्ली में आयोग ने एक बयान जारी कर बताया कि अंतिम चरण में 35 विधानसभा क्षेत्रों के सभी 11860 मतदान केंद्रों पर मतदान शांतिपूर्ण रहा। बंगाल में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी का खेल शुरू हो गया था।
निर्वाचन आयोग ने जब 26 फरवरी को बंगाल विधानसभा चुनाव आठ चरणों में कराए जाने की घोषणा की, उसी दिन से विवाद खड़ा हुआ और तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ऐसा करके भाजपा को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया गया। असम विधानसभा चुनाव तीन चरणों में कराए जाने के अलावा तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में एक ही चरण में छह अप्रैल को मतदान कराया गया।
बंगाल में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में चली लंबी मतदान प्रक्रिया के बावजूद मतदाताओं का उत्साह देखने को मिला और दूसरे चरण में जहां 86.11 फीसदी मतदान दर्ज किया गया, वहीं कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच भी सातवें चरण में 76.90 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।
कोलकाता के पास डायमंड हार्बर में 10 दिसंबर 2020 को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर तृणमूल कांग्रेस समर्थकों द्वारा हमले किए जाने के साथ ही चुनाव के दौरान रहने वाले हालात को लेकर कयास लगाए जाने लगे।
इसके बाद भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय समेत अन्य नेताओं के काफिलों पर हुए पथराव और वाहनों में की गई तोड़फोड़ के बीच भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के समर्थक एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे। कई मामलों में नेताओं को चोटें भी आईं। कुछ दिन के अंतराल पर भाजपा और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की खबरों के अलावा खेतों में कार्यकर्ताओं के शव मिलने एवं पेड़ से लटकते शव मिलने की रिपोर्टें सामने आती रहीं।
अपने राजनीतिक जीवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा से मिल रही सबसे कठिन चुनौती का सामना कर रहीं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सत्ता बरकरार रखने के लिए 'बंगाली अस्मिता' एवं 'बाहरी' जैसे मुद्दे भी उठाए, जो कि पूर्व में बंगाल की राजनीति में कहीं नजर नहीं आए थे।
हालांकि इसके जवाब में भाजपा ने आक्रामक तरीके से हिंदुत्व का प्रचार जारी रखा और भगवा दल ने प्रचार के दौरान हर जगह 'जय श्री राम' के नारे का सहारा लिया। भाजपा ने बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाकर भी उन्हें घेरने की रणनीति अपनाई।
इसकी काट के तौर पर ममता बनर्जी ने अपनी रैलियों में खुद के ब्राह्मण होने पर भी जोर दिया और चंडी पाठ भी किया। इतना ही नहीं मुस्लिम वोटों को साधते हुए बनर्जी ने हुगली की एक रैली में मुसलमानों से अपने वोटों का बंटवारा नहीं होने देने की अपील भी की।
चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक बयानबाजी का दौर चरम पर रहा और इसी कड़ी में निर्वाचन आयोग ने ममता बनर्जी की उस टिप्पणी पर भी कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने 'केंद्रीय बलों पर केंद्रीय गृहमंत्री के निर्देश पर भाजपा की सहायता करने' का आरोप लगाया। आयोग ने कार्रवाई करते हुए बनर्जी को 24 घंटे तक प्रचार करने से रोक दिया था।
बंगाल की चुनावी जंग में भाजपा ने ममता बनर्जी के भतीजे एवं सांसद अभिषेक बनर्जी को लेकर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया और राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तोलाबाजी में लिप्त होने की रैलियों में हुंकार भरी। दूसरी तरफ, अभिषेक बनर्जी ने पलटवार करते हुए भाजपा पर ऐसा सिंडिकेट चलाने का आरोप लगाया जो कि मृतक प्रमाण पत्र जारी करने तक के लिए घूस वसूलता है।
बंगाल चुनाव के विभिन्न चरणों में छिटपुट हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 10 अप्रैल को चौथे चरण के मतदान के दौरान कूचबिहार जिले के सीतलकूची में पांच लोगों की मौत हो गई। इनमें से चार लोगों की मौत केंद्रीय बलों की गोली लगने से हुई। बंगाल में मतगणना दो मई को होगी, जिस पर सभी की निगाहें रहेंगी।(भाषा)