ग्रामीण इलाकों से आने वाली इन 10 महिलाओं ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया
महिलाएं सक्षम हो तो वह बहुत कुछ कर सकती हैंलेकिन बदलते दौर में बिना पढें भी वह घर और व्यापार दोनों बराबरी से चला रही है। वे अपनी सूझ-बूझ और मेहनत से घर के साथ बाहरी दुनिया का भी अनुभव एक साथ ले रही है। कोसो दूर बसे गांवों में महिलाएं सिर्फ अपने हुनर से गांव का नाम ऊंचा कर रही है तो वहां अपने आसपास मौजूद महिलाओं को भी प्रोत्साहित कर रही है। जानते हैं अपनी मिसाल पेश करने वाली महिलाओं के बारे में -
1. कल्पना सरोज (महाराष्ट्र) - पद्म श्री से सम्मानित कल्पना सरोज का सफर बहुत आसान नहीं था लेकिन असंभव भी नहीं था। 12 वर्ष की उम्र में कल्पना की शादी हो गई थी लेकिन पति के प्यार की बजाए सिर्फ यातनाएं मिली। लेकिन पिता ने बचा लिया। इसके बाद कपड़े का कारखाना शुरू किया। और मुंबई में बड़े व्यापारियों में से एक हैं।
2.जसवंती बेन (मुंबई) - 1959 में मात्र 7 महिलाओं ने मिलकर लिज्जत पापड़ को बनाने की शुरूआत की थी। 7 महिलाओं में से एक पास पापड़ को बेचने की जिम्मेदारी थी। हालांकि इन महिलाओं ने सर्वेंट ऑफ इंडिया सोसायटी के अध्यक्ष छगनलाल पारेख से 80 रूपए उधार लेकर पापड़ बनाने की शुरूआत की थी। देखते ही देखते लिज्जत पापड़ का कारोबार 2002 में करीब 10 करोड़ तक पहुंच गया।
3.डालिमा पाटगिरी (असम) - असम के आंतरिक गांव भालागुरी में रहने वाली डालिमा पाटगिरी ने साल 2007 में SBI से लॉन लेकर मैन्यूफ्रेक्चरर यूनिट बनाई। हालांकि उस दौरान डालिमा को कई सारे ताने सुनने को मिलते थे। लेकिन हार नहीं मानी।
4.नौरती देवी राजस्थान - नौरती देवी हरमाड़ गांव की रहने वाली है कभी स्कूल नहीं गई। लेकिन जिंदगी में आगे बढ़ने का हौसला नहीं खोया। एक बार वे 6 महीने के साक्षरता कार्यक्रम में सम्मिलित हो गई। इसके बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। उनमें वे सभी गुण थे जो एक नेता में होने चाहिए। और 2010 में हरमाड़ा की सरपंच बन गई।
5.राजकुमारी बिनिता - मिणपुर के इंफाल में रहने वाली राजकुमारी बिनिता ने 50 साल की उम्र में मशरूम की खेती की शुरूआत की थी। और आज लगभग 1.5 लाख रूपए महीना काम रही है। साथ ही दूसरों को भी रोजगार दे रही है।
6. डी ज्योति रेड्डी (तेलंगाना) - डी ज्योति आज कई महिलाओं के लिए मिसाल है। अनाथालय से निकलकर अमेरिका में लोगों को रोजगार दे रही ज्योति के सामने कई सारी परेशानियां थी। बिना मर्जी के 16 साल की उम्र में 10 साल बड़े शख्स से शादी कर दी गई। लेकिन वह नहीं रूकी। और अपने पति की मदद से पढ़कर अमेरिका तक पहुंची।
7. सालुराम थिमम्क्का (कर्नाटक) - आज भी पुराने लोग तकनीकी भरी दुनिया में प्रकृति का मोह नहीं छोड़ते हैं। 106 वर्ष की सालुराम जो वृक्ष माता के नाम से मशहूर है। राष्ट्रपति द्वारा उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वह चार किलोमीटर के क्षेत्र में करीब 385 बरगद के पेड़ लगा चुकी हैं।
8. गुलाबो सपेरा (राजस्थान) - कालबेलिया डांस को पहचान दिलाने वाली गुलाबो सपेरा सातंवी संतान थी। लेकिन पिता ने जन्म के 1 घंटे बाद दफना दिया था। लेकिन मासी ने बचा लिया। पुष्कर मेले में वह डांस कर रही थी तभी एक अधिकारी की नजर उन पर पड़ी और राजस्थान के वे अधिकारी काफी प्रभावित हुए। संस्कृति के क्षेत्र में उनके इस अतुल्य सहायक के लिए उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
9. कमलाथल (तमिलनाडु)- 85 साल की कमलाथल महज 1 रूपए में बेसहारा मजदूरों का पेट भरने के लिए काम कर रही है। पिछले 30 सालों से वह सिर्फ 1 रूपए में इडली बनाकर खिला रही है और अपना यह कार्य लॉकडाउन के दौरान भी जारी रखा था। सोशल मीडिया पर उनकी फोटो वायरल होने के बाद वह यूजर्स के दिलों में छा गई।
10. नवलबेन दलसंगभाई चौधरी (गुजरात) - गुजरात की 62 वर्षीय महिला नवलबेन दलसंगभाई चौधरी ने सालभर दूध बेचकर 1 करोड़ रूपए की कमाई की। नवलबेन के पास करीब 45 गाये हैं और 80 भैंसे हैं। जिसके सहारे वे डेयरी भी चलाते हैं। साथ ही अन्य लोगों को भी रोजगार दिया। उनके द्वारा किए गए सरहानिय कार्य के लिए 3 पशुपालक पुरस्कार और 2 लक्ष्मी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।