प्रथमेश व्यास
कहते हैं कि इंसान अगर अपने लक्ष्य पर भरोसा करे और पूरी लगन के साथ उसे हासिल करने के लिए प्रयत्नशील रहे, तो एक ना एक दिन उसे अपनी मेहनत का फल मिल ही जाता है। इस बात का बड़ा ही उम्दा उदाहरण मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सामने आया, जहां एक सब्जी बेचने वाले की बेटी व्यवहार न्यायाधीश (सिविल जज) के पद के लिए चयनित हुई।
अंकिता बचपन से ही कानून की पढ़ाई करना चाहती थी और एलएलबी के अध्ययन के दौरान उन्होंने मन बना लिया था कि उन्हें न्यायाधीश ही बनना है। परीक्षा में उत्तीर्ण होने से पहले अंकिता तीन साल तक असफल हुई। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और चौथे प्रयास में चयनित हुई। उन्होंने बताया कि न्यायाधीश का पद ग्रहण करते ही उनका यह कर्त्तव्य होगा कि उनकी अदालत में आने वाले हर व्यक्ति को न्याय मिले।