मुड़-मुड़ के ना देख...

माधुरी जो
WDWD
अतीत की गठरी यदि बोझों से भरी हो तो, गाँठ खुलते ही मन को भारी बना देती है। इसलिए इस पोटली को बाँधकर बिसरा देना ही अक्लमंदी है। गलतियों से सबक लीजिए और आगे बढ़िए, इसी का नाम जिंदगी है।

हमारा मन कभी भी खाली नहीं रहता। उसमें हमेशा ही विचारों की लहरें उठती रहती हैं। हमारा शरीर वर्तमान में जीता है और मन अतीत में खोया रहता है अथवा भविष्य के सुनहरे सपने देखता है। खासतौर पर जब हम फुर्सत के क्षणों में बैठते हैं, तब तो मानो मन में तूफान सा उठता हैविचार-विचार और विचारों के बवंडर में फँसकर हम अतीत में पहुँच जाते हैं।

अतीत में कभी जानकर तो कभी अनजाने में हमारे हाथों से कुछ गलतियाँ हो गई होंगी। कई बार मजबूर होकर, परिस्थितिवश ऐसा हमसे हो चुका होगा, जैसे कि झूठ बोलना, किसी को नुकसान पहुँचाना, शराब-नशा, सिगरेट जैसे व्यसनों के अधीन हो जाना, नौकरी से जी चुराना, अधिकारियों से गलत व्यवहार, भ्रष्टाचार करना, अपने व्यापार-व्यवसाय के प्रति लापरवाही, पारिवारिक जिम्मेदारियों से जी चुराना, काले धंधे में लिप्त हो जाना आदि। गलत कामों से मिली सफलता अस्थायी होती है यह बात तो हमको तब भी पता थी और आज भी पता है।

उस समय तत्कालीन परिस्थितियाँ जो भी रही होंगी, जैसा भी प्रतिकूल-अनुकूल वातावरण हमें मिला होगा वैसा ही आचरण हमसे हो गया। लेकिन क्या उन गलतियों को हमेशा बोझ की तरह दिल पर लादकर जीना ठीक है?

बजाय इसके कि उनसे सबक लेकर आगे गलतियों को न दोहराने का प्रण कर लिया जाए। हम यदि जिंदगी में विफल हो भी गए हैं तो जिंदगी में पुनः उबरकर सफल जिंदगी जी नहीं सकते ऐसा तो नहीं है!

गलतियाँ सबक सिखाने के लिए ही होती हैं, दोहराने के लिए नहीं! यह मानिए कि भगवान ने हमें आगे बढ़ने का एक और मौका दिया है, जिसका उपयोग करके हम भविष्य को सुनहरा बना सकते हैं और यह सोचकर अतीत की उस गलती का काँटा मन से निकाल दीजिए। आपने अतीत में जो ठोकरें खाई होंगी, उन्हें भूलकर आगे बढ़ना चाहिए।

उन गलत बातों को भुलाने की कोशिश कीजिए जिनके कारण आपको असफलता मिली थी। एक कहावत है कि जो गिरकर उठता है वही सच्चे अर्थों में संत होता है। इसीलिए अपनी गलतियों के लिए दूसरों पर इल्जाम लगाने से बेहतर है अपने अंदर के दोष दूर करने की कोशिश करें।

अपने अतीत को घर के प्रवेश-द्वार पर पैरपोश जैसा मत बिछाइए जिस पर अंदर आने वाला अपने पैर पोछकर उसे और गंदा बना दे। इसके बाद तो आपके दुःखी मन को अतीत से उबरने का मौका ही नहीं मिलेगा।

इसीलिए अपने आपको संभालिए। कठिन से कठिन परिस्थिति में भी संघर्ष करने का निश्चय कीजिए।
  ऐसे सकारात्मक विचारों से अपना जीवन भर दीजिए। याद रखिए, जो समय हमने खो दिया है वह तो वापस नहीं आ सकता,परंतु जो आगे का जीवन है उसे तो खुशहाल बना ही सकते हैं।      


अतीत को भुलाकर आगे बढ़ना उतना मुश्किल भी नहीं है। इसके लिए रोज-रोज मन को समझाना होगा। नियमित रूप से अपने आपसे वादा करना होगा कि अब हम पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे।

अपनी जिंदगी में बदलाव लाने होंगे। अपने आपको विश्वास दिलाना होगा और आत्मविश्वास बढ़ाना होगा। तो अपना सहारा खुद बन जाइए। खुद से कहिए भगवान ने मुझे यहाँ इस सुंदर संसार में खुश रहकर जीने के लिए भेजा है, रोने के लिए नहीं।

ऐसे सकारात्मक विचारों से अपना जीवन भर दीजिए। याद रखिए, जो समय हमने खो दिया है वह तो वापस नहीं आ सकता,परंतु जो आगे का जीवन है उसे तो खुशहाल बना ही सकते हैं। इसीलिए उठिए, अतीत को अलविदा कहकर आगे बढ़िए सुनहरा भविष्य आपके स्वागत के लिए इंतजार कर रहा है ।