मंदसौर रेप केस : क्या आप उस मासूम पर रहम कर सकते हैं मिलने जाने वाले 'शुभचिंतकों'

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मंदसौर रेप केस : रहम दरिंदे ने नहीं की, शुभचिंतक तो कर सकते हैं, उसे शांति से स्वस्थ होने दें
 
मंदसौर रेप केस के आरोपी को फांसी दिए जाने को लेकर जहां मार्च निकाले जा रहे हैं वहीं उस मासूम को देखने धर्म, राजनीति, समाज की तमाम संस्थाएं उमड़ रही हैं। निरंतर घटनाक्रम उलझ रहा है वहीं राजनीति के तमाम ठेकेदार अपनी तथाकथित सहानुभूति का पिटारा लेकर पीड़िता से मिलने पहुंच रहे हैं।

लगता है जैसे शर्म हमने बेच दी है। आत्मा को गिरवी रख दिया है, संवेदनाएं खोखली हो रही हैं... यह क्या तमाशा बना रखा है.. क्यों हर किसी को उससे या उसके परिजनों से मिलने की बेताबी हो रही है... क्यों उन्हें मिलने की अनुमति मिलनी चाहिए... बच्ची खौफनाक दौर से गुजर रही है।

एक सुई भी चूभ जाए, एक पंडाल भी गिर जाए, कुर्सी से भी फिसल जाए तो खबर बन जाती है इन नेताओं की, इन्हें संवेदना के स्तर पर कुछ एहसास भी है कि क्या कुछ हो चुका है उस नन्ही निर्भया के साथ...लेकिन नहीं इन बेशर्मों को सिर्फ अपना हित दिखाई देता है। 
 
लगातार मिलने जा रहे इन नेताओं और प्रमुखों से पूछिए जरा कि क्या उन्हें अंदाजा है कि घावों को सहलाने के बहाने उनका जाना भी उतना ही बेरहम है जितनी बेरहमी से उसके साथ सलूक हुआ है। क्या कर रहे हैं वे वहां अस्पताल जाकर, उन्हें ना शारीरिक संक्रमण की फिक्र है ना मानसिक प्रताड़ना की...

उधर सोशल मीडिया के वीरों ने बच्ची की फोटो वायरल कर दी.. अरे कुछ तो स्तर रखो अपने गिरने का .. आखिर कहां जा रहे हैं आप.. वह नर पिशाच उसे नोंचता खसोंटता रहा उसकी हैवानियत बच्ची बरसों तक नहीं भूल सकती.. अब जबकि वह स्वस्थ होने से लेकर अपनी आत्मा के घाव पर राहत का मरहम चाहती है..नेताओं की घटिया फौज अपने जुमलों से नारी अस्मिता को तार-तार कर रही है...चिकित्सक परेशान है, परिजन हैरान है.. यह सब क्या है?    
 
आखिर कहां किस कोने में दुबके हैं भारतीय समाज के 'फैशनेबल' शब्द.. गरिमा, सभ्यता, संस्कृति, मानवीयता, सहानुभूति, वेदना, दया, ममता, पीड़ा.... ??? 
 
किसी को अंदाजा भी है कि क्या कुछ बर्बरता और नीचता झेली है उस फूल सी कोमल कन्या ने... लेकिन सिवाय इसके कि उसके दर्द को महसूसा जाए सारा ध्यान इस पर केंद्रित हो चला है कि रेप करने वाला आरोपी किसी धर्म विशेष से है...कठुआ पर चिल्लाने वाले खामोश क्यों है क्योंकि पीड़िता हिन्दू है..कहीं से आवाज आ रही है यह दिल्ली में होता तो अब तक देश हिल गया होता...
 
क्या यह जरूरी नहीं कि पहले उस बच्ची की सलामती और खैरियत की दुआ की जाए..क्या यह जरूरी नहीं कि देश की फिजां बिगाड़ने के बजाय अमन को कायम रखते हुए अपने आसपास की बच्चियों को सहेजा जाए...क्या यह जरूरी नहीं कि नेता अपने घरों में ही रहे और अस्पताल में जाकर शारीरिक व मानसिक संक्रमण न फैलाएं.. क्या यह जरूरी नहीं कि बच्ची और उसके परिजन के कलेजे को यूं बार-बार छलनी होने से बचाया जाए...  रहम उस पर आप भी नहीं कर रहे हैं 'बेरहम' शुभचिंतकों... 

जरा शर्म कर लीजिए.. उसे आपकी 'शुभ' चिंता से ज्यादा किसी भी 'अशुभता' से बचाव की जरूरत है..उसे शांति से स्वस्थ होने दीजिए... प्लीज ... 

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