महिला दिवस को मनाए जाने के पूर्व वेबदुनिया टीम ने हर आम और खास महिला से भारत में नारी सुरक्षा को लेकर कुछ सवाल किए। हमें मेल द्वारा इन सवालों के सैकड़ों की संख्या में जवाब मिल रहे हैं। हमारी कोशिश है कि अधिकांश विचारों को स्थान मिल सके। प्रस्तुत हैं वेबदुनिया के सवाल और उन पर मिली मिश्रित प्रतिक्रियाएं....
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उत्तर अमेरिका से लेखिका लावण्या दीपक शाह के विचार
* वेबदुनिया : भारत को महिलाओं के लिए सुरक्षित कैसे बनाया जाए?
उत्तर : समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। साथ साथ सरकार भी जिम्मेदार है।
* वेबदुनिया : भारतीय महिलाओं का सही मायनों में सशक्तिकरण आप किसे मानते हैं? -आर्थिक स्वतंत्रता -दैहिक स्वतंत्रता -निर्णय लेने की स्वतंत्रता
उत्तर : तीनों मुद्दे स्त्री स्वातन्त्र्य को सशक्त करेंगें।
* वेबदुनिया : घरेलू हिंसा के लिए मुख्य रूप से महिलाओं की खामोशी या सहनशक्ति जिम्मेदार है, क्या आप सहमत हैं?
उत्तर : महिलाएं समाज में पुरुष प्रधान पारिवारिक सत्ता के अधीन रहकर कार्य करतीं रहीं हैं। सहनशक्ति और स्त्री के ममत्त्व ये किसी भी महिला के गुणों पर सदैव पुरुषत्त्व के अधिकारों को हावी होते हुए सदियों से हमने भारत ही नहीं हर देश के समाज में देखा है। कुछ स्त्रियां अपनी अलग पहचान बनाने में सक्षम हो पाई हैं। परन्तु आज भी एक विशाल स्त्री समुदाय स्वतन्त्र नहीं दिखलाई पड़ता। स्त्री स्वतंत्रता को 'स्त्री हाथ से निकल गई' जैसी उक्तियों से जोड़ा जाता है और उसे लांछित किया जाता है।
* वेबदुनिया : बॉलीवुड की बालाओं का भारत की ग्रामीण बालिकाओं पर नकारात्मक असर पड़ता है?
उत्तर : बॉलीवुड की बालाएं, धनार्जन की होड़ में बॉलीवुड के हीरो के साथ रेस में दौड़ रहीं हैं पिछली पीढ़ी की हीरोइन आज की हीरोइन के मुकाबले कम कमा रहीं थीं। आज सिनेमा, साहित्य, समाचार पत्र, मैग्जीन जैसे 'वेबदुनिया' इत्यादि वैश्विक स्तर पर फैला हुआ है। मैं मानती हूं कि, सभी जिम्मेदार हैं..हर संस्था या व्यक्ति सुर्ख़ियों भरी, सनसनीखेज खबरें और बातें छापते हैं या प्रचारित करते हैं। एक ओर हम स्त्री-सुरक्षा की गंभीर समस्या पर वार्तालाप कर रहे हैं और दूसरी ओर वेबदुनिया या एनडीटीवी जैसे समाचार पोर्टल खुद ऐसे अश्लील हीरोईनों के चित्र छापता है और प्रचारित करता है। जिसका केप्शन/ शीर्षक हो' देखिए फलां एक्ट्रेस हॉट स्वीमिंग सूट में तब यह क्या सही होगा? ऐसे चित्र ही युवा पीढ़ी को आकर्षित करते हैं। और मामला आखिर 'धन' बनाने के चक्कर में उलझ के खत्म! अगर हम स्त्री-सुरक्षा की सोचें तो यहां त्वरित बदलाव आवश्यक है।
* वेबदुनिया : : क्या स्त्री आज भी महज देह ही मानी जाती है, इंसान नहीं?
उत्तर : ' स्त्री 'भी' इंसान है। पुरुषों की तरह और उसे भी पुरुषों की तरह समाजिक प्रतिष्ठा और अधिकार मिलने आवश्यक हैं।
* वेबदुनिया : क्या बदलते दौर में आने वाली पीढ़ी के मन में महिलाओं के प्रति सम्मान संभव नहीं है?
उत्तर : आशा तो यही करूंगी के महिलाओं के प्रति सम्मान बढ़ें।
* वेबदुनिया : बलात्कार जैसी घटनाएं रोक पाना संभव है? अगर हां तो कैसे, और नहीं तो क्यों?
उत्तर : 'बलात्कार ' सम्पूर्णतया रोक पाया असंभव है। क्योंकि जब तक समाज पूरी तरह एक स्वस्थ मानसिक स्तर पर नहीं पहुंचता 'पशुता' से भी गिरे हुए पाप कर्म में लिप्त मानसिक रोगी जो निरीह, निर्दोष बालिकाओं और महिलाओं के साथ ऐसा दुर्व्यवहार करता है उसे सुधारने के लिए, सामजिक शिक्षा और सच्चे और सात्विक मूल्यों को पुनर्स्थापित करना होगा।
* वेबदुनिया : बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं और क्यों?
उत्तर : भोगवादी सांस्कृतिक बहाव, 'आज हम हैं और हमें किसी का डर नहीं' ने आज के बिगड़े व्यक्ति को ज्यादा कठोर मानस का इंसान बना दिया है। हक तो लड़ झगड़ कर हासिल करना सभी को आ गया है परतु अपनी जिम्मेदारी के प्रति सर्वथा उदासीन रहना भी आज के इंसान में हम देख रहे हैं।
* वेबदुनिया : मासूम बच्चियों के साथ बढ़ती बलात्कार की वारदातों के पीछे आखिर कौन सी विकृति होती है?
उत्तर : 'हम पकड़े नहीं जाएंगें और सजा भी कम मिलेगी। और चारों तरफ बेशर्मी और अनादर, सरकारी संस्थान और अधिकतर व्यक्तियों का लालची और स्व-केन्द्रीत व्यवहार ही ऐसी विभत्स वारदातों के लिए आग में घी का काम कर रहे हैं। 'कन्या' की सुरक्षा का ध्यान पग-पग पर रहे। यह परिवार से लेकर समाज की हर 'स्त्री' की जिम्मेदारी है। अगर परिवार का कोई पुरुष अनुचित व्यवहार करता है तब उसे खुल कर के सजा दिलवाना जरूरी है। भले ही वह पिता, चाचा, ससुर, मामा , भाई, भतीजा, भांजा ही क्यों न हो !
* वेबदुनिया : क्या विदेशों में महिलाओं की स्थिति भारत से बेहतर है?
उत्तर : सऊदी अरेबिया में अगर कोई चोरी करे तो हाथ काट दिए जाने की सजा है परन्तु वहीं तालिबानी पुरुष एक बुर्के में लिपटी स्त्री को पत्थर और कोड़े से पीट देते हैं। अफ्रीका में स्त्री की स्थिति गंभीर रूप से बिगड़ी है जहां हरेक प्रांत में असुरक्षा और आतंक फैला हुआ है। पाश्चात्त्य देशों में बलात्कार होते तो हैं परन्तु क़ानून महिलाओं के लिए लड़ता है और दोषी को सजा भी मिलती है। भारत के लिए आवश्यक है कि पश्चिम का अंधानुकरण ना करें। हां स्वच्छता, अनुशासन, कर्म के प्रति प्रतिबद्धता जैसी बातों को जरूर सीखें।