पर्यावरण: अतीत तथा वर्तमान

- स्वर्णशेखर सिन्ह
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पर्यावरण की समस्याओं पर विशेषज्ञों के विचार एवं विवाद इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में देखते व सुनते हैं। पर्यावरण दिवस है इसलिए आज हम सब इस दिन को याद कर रहे हैं।

हालाँकि अब हम क्या करें कि किस प्रकार से पर्यावरण के बुरे प्रभावों को दूर कर सके। हमें इसके लिए जरूर कुछ करना चाहिए अन्यथा हम यूरोपीय देशों को देखें जोकि पहले से अधिक गर्मी महसूस कर रहे हैं।

समुद्र तटों पर स्थित महानगरों को अब भयंकर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि भय है कि समुद्र के पानी का स्तर समान्य मात्र से ज्यादा होने पर ये महानगर डूब जाएँगे। इन कुप्रभावों के कारण ही अमेरिका और अन्य जगहों पर भयंकर तूफान आए।

मनुष्य तथा अन्य वन जीवों को अपने जीवन के प्रति संकट का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषित पर्यावरण का प्रभाव पेड़ पौधे एवं फसलों पर पड़ा है। समय के अनुसार वर्षा न होने पर फसलों का चक्रीकरण भी प्रभावित हुआ है। प्रकृति के विपरीत जाने से वनस्पति एवं जमीन के भीतर के पानी पर भी इसका बुरा प्रभाव देखा जा रहा है। जमीन में पानी के श्रोत कम हो गए हैं। इस पृथ्वी पर कई प्रकार के अनोखे एवं विशेष नस्ल की तितली, वन्य जीव, पौधे गायब हो चुके हैं

यही उपयुक्त समय है जब हम सब को एकत्रित होकर हमारे पर्यावरण को सुरक्षित तथा उनका विकास करने की कोशिश करनी चाहिए। जैसे कि

* जंगलों को न काटे।
* जमीन में उपलब्ध पानी का उपयोग तब ही करें जब आपको जरूरत हो।
* कार्बन जैसी नशीली गैसों का उत्पादन बंद करे।
* उपयोग किए गए पानी का चक्रीकरण करें।
* ज़मीन के पानी को फिर से स्तर पर लाने के लिए वर्षा के पानी को सहेजने की व्यवस्था करें
* ध्वनि प्रदूषण को सीमित करें

इन बातों को ध्यान में रख कर हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते है। इस स्थिति में हम अपनी हरे भरे पृथ्वी को सुरक्षित रख सकते हैं नहीं तो यहाँ पर भी चाँद, बृहस्पति, मंगल, शनि की तरह जीवन नामुमकिन हो जाएगा।