साल 2022 भारतीय राजनीति में चुनाव से लेकर सियासी यात्राओं और राज्यों में सत्ता बदलाव वाला साल रहा। गुजरात में भाजपा ने रिकॉर्ड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर अपनी सियासी तौर पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई तो कांग्रेन ने भारत जोड़ो यात्रा के जरिए अपनी जमीनी ताकत दिखाने की कोशिश की।
1-कांग्रेस में 2022 बदलाव का साल- 2022 कांग्रेस में बदलाव के साल के रूप में याद किया जाएगा। बीत साल पार्टी को जहां 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष मिला, वहीं पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा के जरिए जनता से सीधा कनेक्ट होने की कोशिश की। अगर देखा जाए तो देश की सबसे पुरानी सियासी पार्टी कांग्रेस के लिए 2022 एक ऐसा साल रहा है जहां से उसे 2023 के साथ अपनी भविष्य की सिसायत के लिए एक नई उम्मीद की किरण भी दिखाई दे रही है।
2-चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन-साल 2022 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित गुजरात में सत्ता में वापसी कर ली। वहीं साल के अंत में भाजपा को हिमाचल चुनाव में हार से सत्ता से बाहर होना पड़ा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की पांच साल बार फिर प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा को रोडमैप तैयार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सका है। वहीं उत्तराखंड में भाजपा ने पांच साल में सत्ता बदलने की परंपरा को बदल दिया। लेकिन हिमाचल में भाजपा पांच साल सत्ता बदलने के रिवाज को भेद नहीं पाई और उसके हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ गोवा विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने जीत हासिल कर सत्ता में वापसी कर ली।
3-2022 में सियासी बुंलदियों पर AAP- देश की सियासत में साल 2022 में सबसे अधिक सुर्खियों में रहने वाली पार्टी आम आदमी पार्टी रही। 10 साल पहले दिल्ली में क्षेत्रीय पार्टी के रूप में दस्तक देने वाली आम आदमी पार्टी ने साल 2022 में सियासी बुलंदियों को छूआ। साल के शुरू में जहां आम आदमी पार्टी ने पंजाब में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई तो साल के आखिरी में गुजरात विधानसभा चुनाव में 13 फीसदी वोट के साथ पांच सीटों पर जीत हासिल कर अनौपचारिक रूप से राष्ट्रीय राजनीतिक दल का दर्जा प्राप्त कर लिया। ALSO READ: 2022 में सियासी बुलंदियों को छूने वाली AAP के सामने 2023 चुनौतियों का होगा साल 4-महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन-साल 2022 में महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन देश की सियासी इतिहास की एक दिलचस्प घटना के तौर पर याद किया जाएगा। शिवसेना में एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के चलते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा। उद्धव ठाकरे के साथ से मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने के साथ शिवसेना के सिंबल और पार्टी से उद्धव को हाथ धोना पड़ा। एकनाथ शिंदे ने शिवेसना से निकलकर नए गुट का गठन कर भाजपा के साथ सरकार बना ली।
5-बिहार में नीतीश ने बदला साथी-साल 2022 में बिहार की राजनीति में भी बदलाव वाला साल बनकर आय़ा। नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़कर एक बार भी अपने पुराने दोस्त लालू प्रसाद यादव के साथ दोस्ती गांठ कर 2024 में मोदी के चेहरे को चुनौती देने की तैयारी करते हुए दिखाई दिए। नीतीश से सियासी तलाक होते हुए भाजपा पूरे दमखम के साथ नीतीश को घेरने में जुट गई।
6-पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक- साल 2022 में कई सियासी विवाद भी खूब सुर्खियों में रहे। साल के शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान फिरोजपुर में उनके काफिले के सामने किसानों एक गुट के आने पर खूब सियासत हुई। किसानों ने पीएम मोदी के काफिले को एक पुल पर रोक लिया था। मामले की जांच के लिए कमेटी ने इसके लिए फिरोजपुर SSP को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं तमिलनाडु में भी पीएम की सुरक्षा में चूक होने की बात सामने आई है लेकिन तमिलनाडु पुलिस ने किसी भी प्रकार की चूक की घटना से इंकार कर दिया।
7-उपचुनाव में सभी ने कुछ खोया-कुछ पाया- साल 2022 में हुए उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के साथ छोटी पार्टियों ने भी कुछ पाया तो कुछ खोया। साल के आखिर में हुए मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव मे डिंपल यादव ने जीत हासिल की तो आजम खान के गढ़ रामपुर में पहली बार कमल खिला। वहीं आजमगढ़ लोकसभा में हुए उपचुनाव में भाजपा के भोजपुरी सितारे दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत हासिल की।
8-सियासत में एक युग का अंत- साल 2022 में सियासी जगत में दिग्गज समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के निधन से एक युग का अंत हो गया। तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के साथ 1996 से 1998 के दौरान मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री रहे थे।
9-चाचा-भतीजा फिर एक साथ-साल 2022 में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद आखिरकार अखिलेश यादव औऱ चाचा शिवपाल यादव में सियासी तल्खी खत्म हुई और दोनों फिर एक साथ आकर मुलायम सिंह यादव का पूरा कुनबा एक मंच पर नजर आय़ा।
10-देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति-साल 2022 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में देश को पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति मिली। आदिवासी चेहरे के रूप में दौपद्री मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर देश के एक बड़े आदिवासी वोट बैंक को साधने का काम किया। गुजरात विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर भाजपा की जीत को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। महिला आदिवासी चेहरे को राष्ट्रपति बनाने के एक नहीं कई सियासी मायने है।