अलविदा 2024 : 8,300 से अधिक उम्मीदवारों में से 86 प्रतिशत की जमानत जब्त, वोटिंग में पुरुषों से आगे महिलाएं, इलेक्शन कमीशन ने जारी किया डेटा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

गुरुवार, 26 दिसंबर 2024 (21:28 IST)
ec releases lok sabha election data 2024 : इस साल लोकसभा चुनाव लड़ने वाले 8,300 से अधिक उम्मीदवारों में से 86 प्रतिशत की जमानत जब्त हो गई। चुनाव आयोग द्वारा गुरुवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2024 के चुनाव में कुल 12,459 नामांकन दाखिल किए गए, जबकि 2019 में 11,692 नामांकन दाखिल किए गए थे। नामांकन दाखिल करने वाले 12,000 से अधिक लोगों में से 8,360 लोग देशभर में नामांकन खारिज होने और नाम वापस लेने के बाद चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के रूप में योग्य पाए गए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 8,054 उम्मीदवार मैदान में थे। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल के चुनाव में 7,190 उम्मीदवारों (86 प्रतिशत) की जमानत जब्त हो गई।
 
जमानत गंवाने वाले 7,190 लोगों में से 584 छह मान्यता प्राप्त दलों से, 68 राज्य स्तर के मान्यता प्राप्त दलों से, 2,633 पंजीकृत, गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से और 3,095 निर्दलीय उम्मीदवार थे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 6,923 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी और 3,921 निर्दलीय उम्मीदवारों में से केवल सात ही जीत हासिल कर पाए थे। निर्दलीय उम्मीदवारों का वोट शेयर कुल वैध मतों का 2.79 प्रतिशत था।
 
लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को 25,000 रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा करने होते हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह राशि आधी है। चुनाव कानून के अनुसार, यदि उम्मीदवार निर्वाचित नहीं होता और उसे मिले वैध मतों की संख्या सभी उम्मीदवारों को मिले वैध मतों की कुल संख्या के छठे हिस्से से अधिक नहीं होती तो जमानत राशि जब्त हो जाती है।  
 
कितना रहा वैध मत प्रतिशत : इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में छह राष्ट्रीय दलों का मत प्रतिशत (कुल पड़े वैध मतों में से) 63 फीसदी से अधिक रहा। ये छह दल हैं -भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी (आप) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी)।
 
चुनाव आयोग की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, छह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों के अलावा, 47 मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय दलों और 690 पंजीकृत, गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने संसदीय चुनावों में भाग लिया।
 
आंकड़ों के अनुसार 3,921 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा लेकिन उनमें से केवल सात ही निर्वाचित हुए। इसके अलावा 3,905 निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। कुल वैध मतों में उनका मतप्रतिशत 2.79 रहा। चुनाव आयोग ने बताया कि 3,921 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 279 महिलाएं थीं।
 
इस वर्ष नोटा (इनमें से कोई नहीं) को 63,71,839 या 0.99 प्रतिशत मत मिले, जबकि 2019 में यह 1.06 प्रतिशत था। इस वर्ष 97.97 करोड़ मतदाता अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करने के पात्र थे जबकि 2019 में यह संख्या 91.19 करोड़ थी।
 
चुनाव आयोग ने कहा कि इन पंजीकृत मतदाताओं में से 2024 में 64.64 करोड़ ने वोट डाला, जबकि 2019 में यह संख्या 61.4 करोड़ रही। चुनाव आयोग के अनुसार मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को मतदाता माना जाता है।
पुरुषों से आगे रहीं महिलाएं : आंकड़ों में कहा गया कि इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में 64.64 करोड़ मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया और इन मतदाताओं में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक रही। आयोग ने कहा कि महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 65.78 रहा जबकि पुरुष मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 65.55 था।
 
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने दावा किया कि इस तरह का विस्तृत डेटा दुनिया भर के लोकतंत्रों में किसी भी चुनाव निकाय द्वारा साझा नहीं किया जाता। आयोग ने कहा कि स्वतः संज्ञान लेकर की गई इस पहल का मकसद जनता का विश्वास बढ़ाना है, जो भारत की चुनावी प्रणाली का आधार है।’’ आंकड़े इन आरोपों की पृष्ठभूमि में जारी किए गए हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के आंकड़ों में हेराफेरी की गई थी।
 
ये आंकड़े चार विधानसभा चुनावों - अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम से भी संबंधित हैं। आयोग ने कहा कि इस बार चुनाव लड़ने वाली महिला उम्मीदवारों की संख्या 800 रही जबकि 2019 के चुनावों में यह संख्या 726 थी। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 111 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 80 और तमिलनाडु में 77 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं। लेकिन साथ ही, कुल 543 लोकसभा क्षेत्रों में से 152 सीट ऐसी थीं जहां कोई महिला उम्मीदवार नहीं थीं।
 
कितने हुए पंजीकृत : 2024 के चुनाव में कुल 97.97 करोड़ से अधिक नागरिकों ने खुद को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराया, जो 2019 के 91.19 करोड़ के आंकड़े की तुलना में 7.43 प्रतिशत अधिक है। इस बार, ईवीएम और डाक मतपत्र के जरिए डाले गए वोट की कुल संख्या 64,64,20,869 रही। ईवीएम के जरिए 64,21,39,275 वोट डाले गए, जिनमें 32,93,61,948 पुरुष मतदाताओं और 31,27,64,269 महिला मतदाताओं ने मतदान किया।
 
आंकड़ों के अनुसार, तीसरे लिंग के 13,000 से अधिक पंजीकृत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। असम में धुबरी संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक 92.3 प्रतिशत मतदान हुआ। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में सबसे कम 38.7 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2019 में 14.4 प्रतिशत था। चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कम से कम 11 संसदीय क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत 50 प्रतिशत से कम रहा।
 
इसने कहा कि इस बार कुल 10.52 लाख मतदान केंद्रों में से 40 मतदान केंद्रों या 0.0038 प्रतिशत केंद्रों पर पुनर्मतदान किया गया, जबकि 2019 में यह संख्या 540 थी। प्रवासी भारतीय मतदाताओं का जिक्र करते हुए निर्वाचन आयोग ने कहा कि इस श्रेणी में 1.19 लाख से अधिक लोग पंजीकृत थे, जिनमें 1.06 लाख पुरुष, 12,950 महिलाएं और 13 मतदाता तीसरे लिंग से थे, जबकि 2019 में 99,844 पंजीकृत प्रवासी भारतीय मतदाता थे।
 
प्रवासी भारतीय मतदाता वे हैं जो विभिन्न कारणों से विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिक हैं और यहां मतदान करने के पात्र हैं। वे पहचान के प्रमाण के रूप में अपना मूल पासपोर्ट दिखाकर मतदान करने के लिए भारत आते हैं। इनपुट भाषा

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