जिम और योग का डिफरेंस

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पहले अखाड़े हुआ करते थे अब जिम का प्रचलन है। अखाड़े भी है, लेकिन उनमें अब बहुत कम ही लोग जाते हैं। सुना यह भी है कि बहुत से अखाड़ों को भी अब जिम का लुक दे दिया गया है। जिम में बॉडी बनाने के लिए जाते हैं। बॉडी तो बन ही जाती है, लेकिन यह बॉडी कितनी उचित है यह तो हम नहीं बता सकते।

यदि आपको किसी बॉडी प्रतियोगिता में हिस्सा लेना हो, कुश्ती लड़ना हो, हीरो बनना हो या वजन उठाना हो तो जिम या अखाड़े जाना जरूरी है, लेकिन यह सब नहीं करना हो तो फिर थोड़ा सोचना पड़ेगा की आप जिम क्यों जाते हैं। जिम और योग का सबसे बड़ा अंतर यह है कि जिम की एक्सरसाइज करने के बाद आप थका हुआ महसूस करेंगे, लेकिन योग के आसन करने के बाद आप खुद को पहले से कहीं ज्यादा तरोताज महसूस करेंगे।

उम्र का असर : चाइल्डहुड में हमारा शरीर फ्लेसिबल था। उम्र बड़ने के साथ हड्डियाँ हार्ड होती गई। हार्ड बोन के टूटने का खतरा भी बड़ जाता है। एक बच्चा जब छोटी-मोटी जगह से गिरता है तो फ्रेक्चर होने के कम चांस है, लेकिन जवान व्यक्ति जब गिरता है तो फ्रेक्चर होने के चांस ज्यादा होते हैं। जिम में ‍हमारी हड्डियों के साथ माँस-पेशियाँ भी हार्ड हो जाती है। माना जाता है कि जिम जाना छोड़ देने के बाद यह बनावटी हार्डनेस व्यक्ति को वक्त से पहले बुढ़ा बना देती है।

जिकी बॉडी : देखने में आया है कि जिम का शरीर गठिला, कसा हुआ और हार्ड होता है। उस शरीर को अतिरिक्त भोजन की भी आवश्यकता होती ही है। रोग और शोक से बचे रहने की क्षमता की कोई गारंटी नहीं। मानते हैं कि जिम की कसरत छोड़ने के बाद शरीर में एकदम से ढलाव आने लगता है इसलिए जिम की कसरत को जारी रखना जरूरी है अन्यथा हाथ-पैर दर्द करने लगते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों का दर्द बढ़ने लगता है। माँस-पेशियों में खिंचाव की समस्या से लड़ना पड़ता है।

योग की बॉडी : योग का शरीर लचीला और सॉफ्ट होता है। इसे अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता नहीं होती और यह सभी तरह के रोग से बचने की क्षमता रखता है। लगातार योग करने के बाद योग छोड़ भी देते हैं तो इससे शरीर में किसी भी प्रकार का ढलाव नहीं आता और हाथ-पैर में दर्द भी नहीं होता। जब स्फूर्ती दिखाने का मौका होता है तो यह शरीर एकदम से सक्रिय होने की क्षमता रखता है।

यदि जीवन में जिम की आवश्यकता है तो अवश्यक करें और यदि नहीं है तो फिर क्यों व्यर्थ में शरीर को थकाते हैं।

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