प्रसन्न रहने के तरीके

जीवन में दुख-दर्द तो बहुत हैं। सवाल उठता है कि आप उन्हें कैसे हैंडल करते हैं। यह अच्छी तरह जान लें कि सबसे बड़ी दौलत है आपका और आपके परिवार का स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहना। तो आओ, जानें कि यह कैसे संभव होगा।

IFM
चित्त की लय : अपने चित्त या मन की गतिविधियों को समझें। जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। शांत बैठकर गहरी व लंबी साँसें लेना भी तनाव दूर करने में मदद करता है। यह जान लें कि जो चीजें आपके नियंत्रण में नहीं हैं, उनके बारे में चिंता करना व्यर्थ है। जब भी कभी खराब विचार आपको परेशान करें आप वहाँ से ध्यान हटाकर किसी अच्छी बात में लगाएँ। ध्यान को अपनी नियमित जीवन शैली का हिस्सा बनाएँ। शरीर और मन पर इसके सकारात्मक परिणाम होते हैं।

कार्य शैली : महत्वपूर्ण व बड़े लक्ष्यों पर खुद को फोकस करें। अपने काम को ठीक से मैनेज करें। सब कामों को एक-साथ हाथ में न ले लें। अपने जीवन की कार्य शैली को निर्धारित करें, जिसमें हर पहलू को पर्याप्त समय दिया गया हो, चाहे वह पढ़ाई हो या परिवार या फिर रिश्ते और सामाजिक सरोकार। इसके लिए समय का सही प्रबंधन करें। उन कामों की लिस्ट बनाएँ, जो अनिवार्य हैं और फिर करते जाएँ।

जीवन उर्जा : यदि आप में ऊर्जा की कमी है तो थके हुए व तनावग्रस्त महसूस करेंगे। ज्यादा एनर्जी के लिए ऊर्जायुक्त खाद्य पदार्थ खाएँ। ताजे फल, साबुत अनाज, सब्जियाँ, दूध-दही, कम वसा, कम चीनी व कम नमक वाला खाना खाएँ। इससे आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होगा व एनर्जी लेवल बढ़ेगा। भोजन आयरनयुक्त हो, इस पर भी ध्यान दें। आयरन की कमी से डिप्रेशन रहता है इससे भी तनाव बढ़ता है। खूब पानी पिएँ, इससे डीहाइड्रेशन तो दूर होता ही है, ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रहता है। पाचन-क्रिया बेहतर काम करती है। व्यसन को दूर करें। हफ्ते में एक दिन निराहार रहें।

जीवन हास्य : जीवन में हास्य और मनोरंजन की बहुत आवश्यकता होती है इससे शरीर और मन में शांति मिलती है। इसके लिए हास्य योग का अभ्यास करें। शुरू में आपको यह नकली लगेगा, लेकिन धीरे-धीरे असली में हसते रहने की आदत हो जाएगी, जो महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी।

अंतत: यदि आप ‍जीवन में हमेशा खुश रहना चाहते हैं तो शरीर और मन की बुरी आदतों को समझते हुए उन्हें योग द्वारा दूर करने का प्रयास करें। आपका छोटा-सा प्रयास ही आपके जीवन में बदलाव ले आएगा। प्राणायाम को जहाँ तक हो अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाएँ। स्वयं को दुख-दर्द से अलग करके देखना सीखें।