योग का उद्भव भारत से ही माना जाता है। भारत में योग का इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना बताया गया है। भारत में स्वामी विवेकानंद ने योग की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी। स्वामी जी ने अपने शिकागो सम्मेलन के भाषण में योग का संदेश संपूर्ण विश्व को दिया था।
योग भारत के पास प्रकृति की एक अमूल्य वस्तु है। भारत में योग का इतिहास बहुत पुराना है। शास्त्रों में भी योग का भरपूर जिक्र मिलता है। ऋग्वेद में भी योग की संपूर्ण व्याख्या की गई है। योग पर आधारित पुस्तकों का संग्रह आज भी भारत के राष्ट्रीय संग्राहलयों में मिलता है।
27 सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण में माननीय मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की अपील की। इसके उपरांत अमेरिका ने 123 सदस्यों की बैठक में अंतराराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पास कर दिया।
अमेरिका द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की अपील करने के बाद, 90 दिनों के अंदर 177 देशों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव पारित कर दिया। 21 जून 2015 को पूरे विश्व में पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था, जिसमें 35,985 लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे।
योग का भविष्य- भारत के लिए बहुत गर्व की बात है कि संपूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है। आज के समय में योग का उज्ज्वल भविष्य सामने है। वर्तमान में योग के प्रति लोगों की रुचि बढ़ती जा रही है, जिससे आने वाले समय में योग का स्तर और व्यापक होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। योग अब विदेशों में भी अपनाया जा चुका है, जो यह दर्शाता है कि योग अब अंतराष्ट्रीय स्तर विकसित हो चुका है।