1. प्राणायाम करें : प्राणायाम करते समय तीन क्रियाएं करते हैं- 1.पूरक 2.कुम्भक 3.रेचक। यदि आप अनुलोम विलोम या नाड़ीशोधन प्राणायाम करते हैं तो आपके संपूर्ण शरीर का रक्त संचार सुचारू रूप से चलता रहेगा। इससे शरीर के टॉक्सिन भी बाहर होते हैं जिसके चलते व्यक्ति सेहतमंद बना रहता है। आपको बस 5 मिनट का यह प्राणायाम करना है। यह आप ऑफिस की कुर्सी पर बैठे हुए भी कर सकते हैं।
2. योग मुद्रा : योग मुद्राएं कई प्रकार की होती हैं। इसमें हस्त मुद्राएं खास है। हाथों की 10 अंगुलियों से विशेष प्रकार की आकृतियां बनाना ही हस्त मुद्रा कही गई है। अंगुलियों के पांचों वर्ग से अलग-अलग विद्युत धारा बहती है। इसलिए मुद्रा विज्ञान में जब अंगुलियों का रोगानुसार आपसी स्पर्श करते हैं, तब रुकी हुई या असंतुलित विद्युत बहकर शरीर की शक्ति को पुन: जाग देती है और हमारा शरीर निरोग होने लगता है। ये अद्भुत मुद्राएं करते ही यह अपना असर दिखाना शुरू कर देती हैं।
सामान्यत: अलग-अलग मुद्राओं से अलग-अलग रोगों में लाभ मिलता है। मन में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। शरीर में कहीं भी यदि ऊर्जा में अवरोध उत्पन्न हो रहा है तो मुद्राओं से वह दूर हो जाता है और शरीर हल्का हो जाता है। जिस हाथ से ये मुद्राएं बनाते हैं, शरीर के उल्टे हिस्से में उनका प्रभाव तुरंत ही नजर आना शुरू हो जाता है।
मुख्यतः: दस हस्त मुद्राएं : उक्त के अलावा हस्त मुद्राओं में प्रमुख दस मुद्राओं का महत्व है जो निम्न है: -1.ज्ञान मुद्रा, 2.पृथ्वी मुद्रा, 3.वरुण मुद्रा, 4.वायु मुद्रा, 5.शून्य मुद्रा, 6.सूर्य मुद्रा, 7.प्राण मुद्रा, 8.अपान मुद्रा, 9.अपान वायु मुद्रा, 10.लिंग मुद्रा।
3. योग निद्रा : प्राणायाम में भ्रामरी और प्रतिदिन पांच मिनट का ध्यान करें। आप चाहें तो 20 मिनट की योग निद्रा लें जिसके दौरान रुचिकर संगीत पूरी तन्मयता से सुनें और उसका आनंद लें। यदि आप प्रतिदिन योग निद्रा ही करते हैं तो यह रामबाण साबित होगी। योगा निद्रा में आपको बस शवासन की मुद्रा में सोना है और अपनी श्वास प्रश्वास पर ध्यान देते हुए संपूर्ण शरीर को पैर से लेकर सिर तक क्रम से एकदम ढीला छोड़कर रिलेक्स हो जाना है।