नभोमुद्रा मवेदुषा योद्विना रोग नाशिनी।।
अर्थात सारे कार्यों में स्थिर हुआ चित्त अपनी जीभ के अगले भाग को मुंह के अंदर तालू में लगाकर श्वास को अंदर रोक लेता है। इस स्थिति से वैचारिक गतिविधियां तत्काल बंद हो जाती है इसीलिए इस मुद्रा को रहस्य का आभास दिलाने वाली मुद्रा भी कहा जाता है।