अपने पुराने दोस्त भारत से रूस को एक महत्वपूर्ण विधा भेंट में मिली है और रूसी उसे गले लगाकर स्वीकार रहे हैं। यह विधा है योग। पूँजीवाद और भोगवाद की आँधी से उपजी मानसिक अशांति से खुद को उबारने के लिए रूसी योग का सहारा ले रहे हैं।
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यहाँ योग की लोकप्रियता का आलम यह है कि कहीं भी बगीचे में यदि आप एक आसन लगाकर योग करने लगें तो आपके आसपास योग सीखने वाले जिज्ञासुओं की भीड़ लग जाएगी। यहाँ तक कि रूस के 42 वर्षीय राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव भी योग करते हैं और वे ये मानते हैं कि योग तनाव से मुक्ति का एक बेहतरीन साधन है।
मॉस्को में भारतीय दूतावास से संबद्ध जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र के माध्यम से यहाँ नियमित रूप से योग की कक्षाएँ लगाईं जाती हैं। इनमें लगभग 1,000 छात्र अलग-अलग कक्षाओं में योग सीखने आते हैं।
डॉ. सुरेश बाबू यहाँ योग सिखाते हैं। जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र के उपनिदेशक संजय वेदी जब हमें ऐसी ही एक कक्षा में ले गए तो वहाँ कई सारे स्त्री-पुरुष बहुत तल्लीनता के साथ योग कर रहे थे।
35 वर्षीय तातियाना कुद्रोवा ने बताया कि वे जनवरी से यहाँ योग सीखने आ रही हैं और इसके परिणाम अद्भुत हैं। 26 वर्षीय छात्र एडम ने बताया कि वे पिछले एक महीने से योग सीख रहे हैं और बहुत प्रसन्न हैं। वे इसे आगे तक सीखना चाहते हैं।-नईदुनिया