कॉलेज यानी मस्ती की पाठशाला

ऋषि गौतम

सपनों की दुनिया में जीना किसे कहते हैं आपको जानना हो तो देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इन बच्चों से मिलिए। विश्वविद्यालय के अलग-अलग विभागों और अलग कोर्स के प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले इन विद्यार्थियों की मस्ती और चुहलबाजी तो देखते ही बनती है।

ख्वाबों की रंगीन इनकी दुनिया को देखकर कुछ देर के लिए आप भी अपनी सारी परेशानियों को भूलकर कर उसमें खो जाएंगे। इनकी मस्तीगिरी आपको भी एक बार फिर से अपने कॉलेज लाइफ की याद दिला देगी।



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आइए सबसे पहले मिलते हैं विश्वविद्यालय के कॉमर्स डिपार्टर्मेंट में अकाउंट और मैनेंजमेट कोर्स के छात्रों से। 60 बच्चों वाली यह क्लास में तीन ग्रुप में बंट चुकी है। एक ग्रुप लड़कों का है तो दूसरा लड़कियों का और तीसरा ग्रुप ऐसा है जिसमें लड़के-लड़कियां दोनों हैं।

16 बच्चों के इस ग्रुप में सतना से आए नरेश चौहान भी इनमें से एक हैं। इनके साथियों ने इनको नया नाम दिया है ट्यूबलाईट। वजह अनोखी है...जब इनकी इच्छा होती है यह अपने क्लास में होते हैं,और जब इच्छा होती है वह क्लास से उठकर बाहर आ जाते हैं। अभी इनके सपने कुछ भी नहीं है, इस बारे में इन्होंने कुछ सोचा भी नहीं है। इनका कहना है कि, 'मैं कॉलेज तो सिर्फ मस्ती के लिए आता हूं। मुझे पता है कि मैं बिलगेट्स नहीं बन सकता हूं, फिर भी सीए के लिए दो अक्षर पढ़ लूंगा,शायद कुछ काम आ जाए। इस ग्रुप के अधिकांश बच्चों का कुछ ऐसा ही मानना है।

इस गुप में सभी बच्चों का उनके स्वभाव के हिसाब से निक नेम मिल चुका है। कोई शेरा के नाम से जाना जाता है,कोई नोकिया ल्यूमिया है,कोई एंटीना है, कोई टाटा है, कोई पी.चिदंबरम है तो कोई अजीम प्रेमजी भी।


वहीं लड़कियों के ग्रुप की संजीवनी इंदौर की ही हैं। इनके ग्रुप में कुल 9 लड़कियां हैं। इनका मानना है कि हमारे लिए स्कूल लाइफ से दूर यह एक अलग दुनिया है। जहां हर वक्त हमें न तो पढ़ाई की टेंशन होती है और न ही होमवर्क की।

कॉलेज में आते ही हमारे ग्रुप में कुछ लड़कियों को नया मोबाईल मिल गया है तो कुछ को स्कूटी। ऊपर वाले लड़के - लड़कियों के कंबाइन ग्रुप से अलग लड़कियों के इस ग्रुप की सोच कुछ और है। अपने सपनों और कॉलेज की मस्ती के बारे में इनका कहना है कि, 'हम सबके कुछ न कुछ सपने हैं। किसी को सीए करना है तो किसी को सीएस तो किसी को एमबीए भी।

मस्ती तो हम भी करते हैं लेकिन पढ़ाई भी करते हैं। कुछ बच्चे टाईम पास करने के लिए कैंटीन जाते हैं तो कुछ कैंपस से बाहर। लेकिन हम ऐसा नहीं करते। डिपार्टमेंट में रहकर पढ़ाई के साथ-साथ मस्ती करते हुए हमारा वक्त कब बीत जाता है हमें पता ही नहीं चलता तो बाहर जाने की जरूरत क्या है।

कॉलेज की इनकी इस दुनिया में न तो कोई जाति है न कोई धर्म, न कोई छोटा है न कोई बड़ा। स्कूल के सख्त कायदे- कानूनों से निकलकर अभी-अभी कॉलेज के इस मस्ती भरे माहौल में कदम रखने वाले इन बच्चों को दुनियादारी और जिंदगी की परेशानियों से कोई मतलब नहीं है।

इन्हें न तो कॉलेज के नियमों से कोई सरोकार है,न ही सामाजिक तानों-बानों से कोई वास्ता। इनकी दुनिया की बस एक ही परिभाषा है,एक ही नियम यहां लागू होता है और वह है मस्ती,मस्ती और फुल टू मस्ती।


अब जरा पत्रकारिता एवं जनसंचार डिपार्टमेंट के दीकर चौरसिया की बात सुनिए। इनका असली नाम पंकज मिश्रा है। दीपक चौरसिया जैसा बड़ा पत्रकार बनने की चाहत में खंडवा ये यहां आए हैं।

देश दुनिया के किसी भी मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाले पंकज को इसी वजह से इनके दोस्त दीपक चौरसिया नाम से बुलाते हैं। इस क्लास के बच्चों में अबतक कोई ग्रुप तो नहीं पाया है लेकिन यहां भी सभी के आंखों में अलग-अलग सपने पल रहे हैं। कोई एनडीटीवी के रविश कुमार बनना चाहता है तो कोई बरखा द्त्त,किसी को प्रभु चावला बनना है तो कुछ ने अभी तक इस बारे में सोचा ही नहीं है।

सारी दुनिया को अपनी मुट्ठी में करने की हसरतों और जज्बातों के साथ यहां आए यह बच्चे, चंद मिनटों में ही सारे आकाश को अपने कदमों से नाप लेना चाहते हैं। विश्वविद्यालय के इस कैंपस में हजारों लाखों सपने हैं जो हर युवाओं की आंखों में तैर रहे हैं।

इंद्रधनुष से रंगीन इनके सपनों में हर तरफ उल्लास है,चहलकदमी है,हंसी-ठिठोली है और मस्ती-मजाक भी। मुश्किल से महीने 15 दिनों की ही इनकी पहचान है,लेकिन इतने कम दिनों में ही कहीं प्यार में दिल धड़कने लगे हैं,कहीं नजरें इनायत हो रही हैं तो कोई सही वक्त के इंतजार में अपने दिल की बात दिल में ही दबाए बैठा है। सारी परेशानियों से दूर,बेपरवाह इन बच्चों को दुनिया के रंजोगम से कोई वास्ता नहीं है।

ऋषि गौतम

सपनों की दुनिया में जीना किसे कहते हैं, आपको जानना हो तो देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इन बच्चों से मिलिए। विश्वविद्यालय के अलग-अलग विभागों और अलग कोर्स के प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले इन विद्यार्थियों की मस्ती और चुहलबाजी तो देखते ही बनती है।

ख्वाबों की रंगीन इनकी दुनिया को देखकर कुछ देर के लिए आप भी अपनी सारी परेशानियों को भूलकर कर उसमें खो जाएंगे। इनकी मस्तीगिरी आपको भी एक बार फिर से अपने कॉलेज लाइफ की याद दिला देगी।

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