कौन चुराता है आपकी नींद!

मंगलवार, 27 सितम्बर 2011 (16:17 IST)
डॉक्टर और वैज्ञानिक ये सिद्ध कर चुके हैं कि भरपूर नींद ‍न सिर्फ अच्‍छे स्वास्थ्य की निशानी है बल्कि भरपूर नींद अच्छे स्वास्थ्‍य के लिए जरूरी भी है। यदि दफ्तर में काम करने के दौरान आपको नींद आती है या आपको बस या गाड़ी में यात्रा के दौरान नींद परेशान करती है तो आपको संभलने की जरूरत है।

हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि जो लोग रात में 6 घंटे से कम सोते हैं, प्रतिदिन 8 घंटे की नियमित नींद लेने वाले लोगों की तुलना में उनकी मृत्यु जल्दी होती है। इस शोध के अध्ययनकर्ता और लेखक एलेग्जैंडरोस वैगनोटैजास (एमडी, पीएचडी) के अनुसार कम सोने से न केवल रोग निरोधक क्षमता कम होती है, बल्कि मेटाबॉलिज्म के स्तर में भी कमी आती है। इससे हाइपरटेंशन, मोटापा और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग अनिद्रा के रोगी होते हैं, वे हर समय बीमार दिखाई देते हैं। उनका चेहरा अनाकर्षक होता है। ये सारे तथ्य स्वीडन में हुए इस अध्ययन से सामने आए हैं।

यदि आपको गहरी नींद नहीं आती है तो सबसे पहले अपने सोने के समय, जगह, वातावरण, तरीके और सोने से जुड़ी गतिविधियों पर नजर डालें। उन चीजों को पहचानें जिनसे आपकी नींद में खलल पड़ता है। 'मास्टर योर स्लीप' पुस्तक के लेखक, मनोवैज्ञानिक ट्रेसी मार्क्स (एमडी) का कहना है कि 'अपने बेडरूम का तापमान 20 से 24 सेंटीग्रेट के बीच रखना चाहिए। आपके शरीर की घड़ी आपको बताती है कि कब सोना चाहिए और किस समय जागना चाहिए। आधी रात के समय हम गहरी निद्रा में होते हैं। यह सबसे मूल समय होता है। सुखद नींद के लि अपने कमरे के तापमान को सुविधानुसार निर्धारित करें।

बेडरूम में कॉटन बेडशीट का इस्तेमाल करें। यह मुलायम और आरामदायक होती है। अपने आराम के लिए इच्छानुसार मेट्रेस का चुनाव भी करें जो आपको अच्छी नींद दे सके। दिल्ली के मैक्स हेल्थ केयर लि. के डॉ. नवीन किशोर के अनुसार - 'यदि हमारी आमदनी के स्रोत कम होने लगें तो बढ़ते खर्चों को पूरा करने की चिंता में भी नींद न आने की समस्या पैदा हो सकती है।' दिल और दिमाग पर रखा बोझ हमारे मस्तिष्क को ज्यादा सक्रिय बना देता है, जिसके विषय में सोचकर हमारी नींद रात के समय अपने-आप बाधित हो जाती है। इस प्रकार इनसोमैनिक (अनिद्रा के रोगी) रात के समय टेलीविजन देखने लगते हैं। टीवी देखने से थोड़ी देर के लिए ही सही हमारा मस्तिष्क चिंता से दूर हो जाता है। इसका बुरा प्रभाव हमारी नींद पर पड़ता है। टेलीविजन से निकलने वाली लाइट से नींद लेने के दौरान हमारे शरीर से स्रावित होने वाले हारमोन मैलाटोनिन से हमारी नींद में खलल पड़ सकता है। तनाव के कारण हमारे शरीर से कोर्टिसील नामक हारमोन स्रावित होता है। इसका सीधा संबंध इनसोमैनिया से होता है, डॉ. किशोर के अनुसार 'जिस समय हम प्रसन्न होते हैं, उस समय हमारे शरीर से एंडोरफिन नामक हारमोन स्रावित होता है। इसका हमारे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमें हमेशा खुश रहने का प्रयास करना चाहिए।

दिन के समय पेट में गैस या अपच यदि दर्द पैदा करती है तो रात के समय यह ज्यादा बेचैनी पैदा करती है। कई बार तो पेट की गड़बड़ी हमें पूरी रात जगने पर मजबूर कर देती है। कई लोगों को गले की खराश और खांसी पूरी रात सोने नहीं देती। कई लोग पूरी रात पानी की प्यास के कारण अच्छी नींद नहीं ले पाते हैं। इस स्थिति से बचाव के लिए जरूरी है कि रात के समय ज्यादा तला-भुला मसालेदार खाना न खाएं।

सोते समय सिर को शरीर के बाकी भाग से थोड़ा ऊंचा रखें। यदि हम सीधे सोते हैं तो पेट के भीतर बनने वाले एसिड का प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। यदि आप करवट लेकर सोते हैं तो इससे शरीर को पूरा आराम मिलता है।

वेबदुनिया पर पढ़ें