पहले इंद्र राजा के मेघों को वृष्टि करने के आदेश से नियमानुसार वर्षा होती थी। कुछ समय तक मेघों ने अपनी इच्छानुसार वर्षा करना शुरू कर दिया जिससे पृथ्वी जलमग्न होने लगी। यज्ञ और हवन तक बंद हो गए जिसको देखकर ऋषि मुनि भयभीत होने लगे। इसकी शिकायत ऋषि मुनियों एवं देवगुरु ने ब्रह्मा से की। ऋषियों की परेशानी को सुनकर देवगुरु ने इंद्र को बुलाया। इंद्र ने देवगुरु से पूछा, महाप्रभु मेरे लिए क्या आदेश है। देवगुरु ने पृथ्वी के जलमग्न होने की घटना देवेन्द्र को बताई।