अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों के कारण दुनिया के नक्शे पर अपनी एक अलग पहचान बनाने वाला भारत अब आतंकवादी हमलों के कारण जाना जाने लगा है। वैसे तो यह पूरा वर्ष पर्यटन की दृष्टि से अच्छा नहीं रहा क्योंकि कुछ महीनों के अंतराल पर देश में एक के बाद एक स्थानों पर सिलसिलेवार आतंकवादी हमले हुए, जिससे इन स्थानों पर आने वाले पर्यटकों की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से कमी हुई है।
एक रिर्पोट के मुताबिक भारत में सालाना लगभग 5.08 मिलियन विदेशी पर्यटक आते हैं, जिनसे प्राप्त होने वाली सालाना आय लगभग 10.73 बिलियन यूएस डॉलर है।
आतंकी हमलों से पर्यटन प्रभावित :- भारत में पर्यटन व व्यवसाय का प्रमुख केंद्र माने जाने वाले मुंबई में जब विध्वंसकारी आतंकवादी धमाका हुआ। तब हममें से हर किसी को लगा कि वाकई में आज हमारा देश महफूज नहीं है। इसी असुरक्षा का आभास हमारे देश की ओर रुख करने वाले पर्यटकों को भी हुआ।
यहीं कारण है कि भारत आने वाले कई विदेशी पर्यटकों ने अपनी भारत यात्रा को रद्द करा दिया। मुंबई की आतंकवादी हमलों की घटना के चौबीस घंटों के भीतर भारत आए लगभग पचास फीसदी पर्यटक वापस अपने वतन लौट गए। इसका सीधा असर भारत की प्रमुख होटलों, ट्रेवल एंजेसियों तथा विमान सेवाओं पर पड़ा।
भारत का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर भी इस वर्ष पर्यटकों की राह तकता रहा। कश्मीर की हसीन वादियों में आए दिन होने वाली हमलों की घटनाओं से वहाँ जाने के प्रति पर्यटकों में खौफ बना रहा और अब मुंबई में हुए धमाकों के बाद तो स्थिति और भी भयावह हो गई है।
हमारे देश की अर्थव्यवस्था में 17.3 प्रतिशत हिस्सेदारी पर्यटन की है। एक विश्वस्तरीय सलाहकार संस्था संस्था केपीएमजी के अनुसार उल्लेखनीय है कि इस वर्ष दिसंबर माह से लेकर जनवरी माह तक दो महीने में भारतीय पर्यटन उद्योग को दो अरब रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सर्वाधिक विदेशी पर्यटक अक्टूबर से मार्च माह के दौरान भारत आते हैं। अक्टूबर से दिसम्बर तक जहाँ देश के सारे नेशनल पार्क पर्यटकों के स्वागत में तैयार रहते हैं वहीं इस वर्ष के अंत तक देश के प्रमुख नेशनल पार्क सूने रहे और वर्ष के अंत तक पर्यटकों की बाट जौहते ही नजर आए। दिसंबर माह में भारत का रूख करने वाले विदेशी पर्यटकों में मुख्यत: सिंगापुर, मलेशिया, कनाडा, आस्ट्रेलिया व इटली के पर्यटक होते हैं।
अब नहीं जाते हैं लोग यहाँ पर :- पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण जयपुर, मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरु, हैदराबाद आदि स्थानों पर जाने से अब पर्यटक कतराते हैं। इसका प्रमुख कारण इन स्थानों पर एक के बाद एक हुए आतंकवादी धमाके हैं। पर्यटकों की इन स्थानों की प्ति रुचि कम हुई है। आतंकियों की दहशत से घबराए पर्यटक अब गोआ, मुंबई, जयपुर की बजाय दमन और दीव, पांडिचेरी, तिरुअनन्तपुरम् आदि स्थानों का रुख करने लगे हैं।
भारत का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर भी इस वर्ष पर्यटकों की राह तकता रहा। कश्मीर की हसीन वादियों में आए दिन होने वाली हमलों की घटनाओं से वहाँ जाने के प्रति पर्यटकों में खौफ बना रहा और अब मुंबई में हुए धमाकों के बाद तो स्थिति और भी भयावह हो गई है। भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच कभी भी युद्ध छिड़ जाने की आशंका को देखते हुए पर्यटक अब यहाँ आने से कन्नी काटने लगे हैं।
आतंकवाद का प्रमुख प्रभाव यह रहा है कि पर्यटन की दृष्टि से अछूते व कम प्रसिद्ध स्थानों की ओर पर्यटकों ने अपना रुख किया क्योंकि भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर कब, क्या हो जाए, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
नए साल का जश्न रहेगा फीका :- क्रिसमस व नववर्ष पर अधिकांश देशी व विदेशी पर्यटक गोआ व मुंबई आते हैं परंतु विगत माह मुंबई में हुए आतंकी हमलों का असर इन स्थानों पर अब साफ दिखने लगा है। पर्यटकों की इस बेरूखी से होटल व्यवसाय को एक बड़ा झटका लगा है। नए साल के लिए हर वर्ष दो-तीन महीनों पहले से ही होने वाली होटलों की बुकिंग अब तक पर्यटकों के इंतजार में खाली पड़ी है।
इस वर्ष सरकार द्वारा गोआ की 'बीच पार्टियों' पर रोक लगा देने से पर्यटकों में खासी नाराजगी है। नव वर्ष मनाने के लिए गोआ जाने वाले पर्यटकों का मुख्य आकर्षण यही पार्टियाँ होती है। इस कारण भी यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्याँ में भारी मात्रा में कमी आई है।
घरेलू पर्यटन भी हुआ प्रभावित :- देश को जहाँ विदेशी पर्यटकों से राजस्व के रूप में एक मोटी रकम हासिल होती है वहीं देश के विभिन्न प्रांतों से आए पर्यटकों से भी उन्हें राजस्व प्राप्त होता है। पिछले कई महीनों से देश के प्रमुख महानगरों में हिंसा, धमाकों की जो घटनाएँ हुई हैं उससे विदेशी ही नहीं बल्कि देशी पर्यटक भी अब इन स्थानों पर जाने से डरने लगे हैं। इन सभी का सीधा असर देश को इन पर्यटकों से होने वाली आय पर पड़ा है।
निष्कर्ष के रूप में कहा जाए तो यह वर्ष पर्यटन की दृष्टि से बहुत अच्छा नहीं रहा क्योंकि इस वर्ष मौसम की मार की वजह से तथा आतंकवादी घटनाओं के कारण भारत के कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल पर्यटकों की चहल-पहल से मरहूम रहे।