पूरे वर्ष में साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त होते हैं। पहला चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरा विजया दशमी और तीसरा अक्षय तृतीया। आधा मुहूर्त कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को रहता है। विभिन्न मतांतर से देवप्रबोधिनी एकादशी को भी अबूझ और पवित्र मुहूर्त में शामिल किया जाता है। अबूझ मुहूर्त का अर्थ होता है कि इन तिथियों के दिन पूरे दिन ही शुभ मुहूर्त रहता है इसलिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है।
अक्षय तृतीया को क्या कहते हैं आखा तीज : आखा का अर्थ संपूर्ण, छानना छलनी, खुरजी, एक विशेष प्रकार का बर्तन। लेकिन यहां इसका अर्थ कभी न नष्ट होने वाले से है। अविनाशी मुहूर्त या अबूझ मुहूर्त।