देश का अगला प्रधानमंत्री : युवाओं की नजर में

ऋषि गौत


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यूं तो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सियासत की राजनीति कभी भी बंद नहीं होती। कभी इसमें मंदी भी नहीं आती भले देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही हो। यह ऐसी फसल है जो हमेशा लहलहाती रहती है। जो भी राजनीतिक पार्टी या राजनेता जितनी ज्यादा पुरानी होती है उनकी राजनीति उतनी ही ज्यादा जवान होती है। वह राजनीति के उतने ही बडे़ धुरंधर और माहिर खिलाडी़ माने जाते हैं। यह अलग बात है कि चुनाव के वक्त देश की राजनीति में खुमारी कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है।

अब एक बार फिर से पूरे देश में हर तरफ 2014 के चुनाव को लेकर राजनीतिक दंगल शुरू हो चुका है। देश का हर तबका हर इलाका राजनीति के रंग में रंग चुका है। देश की सभी राजनीतिक पार्टियां भी अपनी पूरी तैयारी के साथ इस जंग में कूद चुकी हैं। सभी पूरे जोर-शोर से देश की जनता को लुभाने में लगी हैं। नए पुराने दावों और वादों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। लेकिन देश की इस राजनीतिक अंगड़ाई में एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण है और जो पूरे देश की राजनीतिक फिजां में तैर भी रही है वह यह कि हर रोज जवान होते देश में यहां का युवा किस करवट बैठेगा? युवाओं का देश कहलाने वाले इस देश में उनका समर्थन हासिल करने में कौन कामयाब हो पाता है।

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इसके लिए राजनीतिक दलों ने तरह तरह के हथकंडे भी अपनाने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में हमने भी देश के युवाओं का मूड जानने की कोशिश की और उनसे पूछा कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होना चाहिए और क्यों? ............



यूं तो अपने देश में अनेकों छोटी-बड़ी पार्टियां हैं। लेकिन कई सालों से देश की राजनीति सिर्फ दो ध्रुवों के बीच ही घूमती रही है। एक है बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए तो दूसरा है कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए। कुछ मौकों को अगर छोड़ दें तो देश का प्रधानमंत्री भी यही दो पार्टियां तय करते आई हैं। आज फिर हम वहीं खड़े हैं जहां एक बार फिर से देश का प्रधानमंत्री चुना जाना है। बीजेपी ने इसके लिए अपनी तरफ से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा भी कर दी है। वहीं कांग्रेस ने अब तक किसी नाम की घोषणा तो नहीं की है फिर भी यह कयास लगाए जा रहे हैं अब मनमोहन सिंह को हैट्रिक मारने का मौका तो नहीं मिलेगा। ऐसे में राहुल गांधी के नाम पर ही दांव आजमाया जाएगा। यानी एक तरफ होंगे 62 साल के नरेंद्र मोदी तो दूसरी तरफ होंगे 42 साल के राहुल गांधी।

लेकिन कौन है युवाओं की पसंद?


- इस बारे में रिसर्च स्कॉलर विजय चौरसिया का कहना है कि उनके तो ऑल टाइम फेवरेट मोदी ही हैं। कारण पूछने पर वह कहते हैं कि मोदी में कुछ करने का जज्बा दिखता है। उनमें निर्णय लेने की क्षमता है जो आज के हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह में बिल्कुल नहीं है। गुजरात में जिस तरह से उन्होंने विकास किया है वह काबिलेतारीफ है। हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा के पैरोकार नरेंद्र मोदी आज जनभावनाओं को उभारने में,उनकी नब्ज पकड़ने में अपनी पार्टी के किसी भी नेता से आगे निकल गए हैं।


- इसी तरह काल सेंटर में काम करने वाले कपिलदेव का कहना है कि ऐसे में मोदी के अलावा हमारे पास ऑप्शन कहां है। अगर राहुल गांधी की बात करें तो इतने दिनों बाद भी राहुल गांधी में वह बात नहीं दिखती जो मोदी में दिखती है। अभी भी राहुल गांधी न सही लेकिन दस सालों से तो उन्हीं की पार्टी की सरकार है जिसने 10 सालों में देश को कुछ भी नहीं दिया। लेकिन सदैव अपने लक्ष्य पर निगाह टिकाए रखने वाले मोदी हर विपरीत परिस्थिति को अवसर में बदलने में दक्ष हैं। चाहे जैसी भी परिस्थिति हो वे समझौता नहीं करते। ऐसे में आज हमें मोदी की जरूरत है।


-पत्रकारिता के छात्र .... की नजर में तो राहुल गांधी राजनीति के नए खिलाड़ी हैं। वहीं मोदी को बारे में उनका कहना है कि गुजरात के एक रेलवे स्टेशन पर कभी चाय बेचने वाले नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति में धूमकेतु की तरह उभरकर सामने आए हैं। वर्ष 2001 में मुख्यमंत्री बनने के बाद सुर्खियों में आए मोदी महज 12 वर्षो में ही पार्टी की ओर से देश की सरकार के शीर्ष पद के प्रत्याशी बनाए गए। जो उनकी मेहनत और लगन को साफ जाहिर करता है। देश को ऐसे लोगों की ही जरूरत है।


-फिर भी ऐसा नहीं है कि सारे युवा सिर्फ मोदी के विकास पर ही फिदा हैं। यहां निरंजन कुमार की राय इन सबसे थोड़ी अलग है। इनका कहना है कि आज जब देश आगे बढ़ने की बजाय पीछे जा रहा है,ऐसे में विकल्प के रूप में मोदी तो जरूर नजर जरूर आ रहे हैं। मोदी ने जिस तरह से गुजरात में विकास किया है वह एक उम्मीद भी पैदा कर रही है। लेकन मोदी की अबतक जो एक सांप्रदायिक की छवि रही है वह मन में एक डर भी पैदा करती है।



इसके अलावा भी हमने अनेक और युवाओं से उनकी राय जानने की कोशिश की जिनकी बातों से यह साफ जाहिर हो रहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में तेजी से राजनीतिक प्रतीक के रूप में उभर रहे हैं। 42 साल के राहुल गांधी के बजाय 62 साल के मोदी युवाओं को ज्यादा लुभा रहे हैं। तभी तो पिछले दिनों आई एक खबर के मुताबिक मोदी इंटरनेट सर्च इंजन ‘गूगल’ पर सबसे ज्यादा खोजे जाने वाले व्यक्ति बन गए हैं। यहां तक कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी पछाड़ दिया है,जिन्हें अमेरिकी चुनावों के वक्त एक दिन में लगभग 98 लाख सर्च मिले थे। ऐसे में एक बात तो साफ है कि अपने विरोधियों और कांग्रेस के हरसंभव प्रयासों के बावजूद मोदी की लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है।














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