किस दिशा में है लाइफ पार्टनर

- भारती पंडित
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कुंडली में जीवनसाथी का मुख्य भाव होता है सप्तम भाव। इस भाव की प्रबलता या निर्बलता के आधार पर विवाह की संभावना, सफलता या असफलता के बारे में जाना जाता है। यदि विवाह भाव प्रबल है तो जीवन साथी का साथ मिलेगा यह पक्का हो जाता है। फिर प्रश्न आता है साथी की दिशा निर्धारित करने का।

सबसे पहले विवाह भाव यानि सप्तम भाव में जो राशि है उसे देखा जाता है। इस भाव के स्वामी को भी देखते हैं। यदि भावेश प्रबल है, अच्छी स्थिति में है तो इस राशि की दिशा के अनुसार साथी के मिलने की दिशा के बारे में जाना जा सकता है। तत्पश्चात नजर इस भाव में बैठे ग्रह पर भी डालें।

यदि इस भाव में बैठा ग्रह भाव के स्वामी से प्रबल है, तो इस ग्रह की दिशा के अनुसार साथी की दिशा मानना चाहिए। यदि भावेश और सप्तम में बैठा ग्रह समान रूप से प्रभावशाली है, तो दोनों के मध्य की दिशा जानना चाहिए। यदि ग्रह कमजोर है मगर भाव का स्वामी प्रबल है तो भाव के स्वामी यानी भावेश की दिशा को ही साथी की दिशा मानना चाहिए।

नीचे विभिन्न ग्रहों की दिशा दी जा रही है :-

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चन्द्र : वायव्य दिशा
बुध : उत्तर दिशा
शुक्र : आग्नेय दिशा
सूर्य : पूर्व दिशा
मंगल : दक्षिण दिशा
गुरु : ईशान दिशा
शनि : पश्चिम दिशा
राहू-केतु : नैऋत्य दिशा

उदाहरण के लिए यदि सप्तम भाव में मेष राशि है तो राशि का स्वामी यानि भावेश मंगल हुआ। यदि मंगल स्वराशि का है, यानि प्रबल है तो मंगल की दिशा यानि दक्षिण दिशा को ही साथी की दिशा मानना चाहिए। यदि मंगल कमजोर है, मगर सप्तम में चन्द्र है जो शुभ प्रभाव में है तो वायव्य दिशा को साथी की दिशा मानना चाहिए।

यदि मंगल और चन्द्र दोनों ही प्रबल हो तो इनके मध्य की दिशा को लिया जाना चाहिए। इस प्रकार से उपरोक्त विधि से साथी की दिशा का एक अंदाज लगाया जा सकता है।

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