गरीबी और अभाव में रहने के बावजूद छोटू खुश है और हालातों से प्रसन्नतापूर्वक जूझता है। अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए एक छोटी-सी होटल में काम करता है। शाम को थोड़ा वक्त मिलता है तो किताबें पढ़ता है। उसका सपना है कि वह शिक्षा हासिल करे और अपनी हालत को बदले।
एक दिन छोटू भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम का भाषण सुनता है। उसे यह जानकर आश्चर्य होता है कि राष्ट्रपति का बचपन भी कठिनाइयों से गुजरा है, लेकिन कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के जरिये वे ऊंचाइयों तक पहुंचे।
छोटू को इससे प्रेरणा मिलती है। भारत में लाखों काम कर रहे बच्चों को छोटू कहकर ही बुलाया जाता है। वह अपने इस नाम को बदल कर ‘कलाम’ कर लेता है। वह भी कलाम की तरह हीरो बनना चाहता है। इसमें उसका दोस्त प्रिंस रणविजय मदद करता है।
‘आई एम कलाम’ एक छोटे बच्चे की प्रेरणादायक कहानी है जो असंभव से दिखने वाले ख्वाब को हकीकत में बदलने की कोशिश करता है।